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शेर
वो आईना हो या हो फूल तारा हो कि पैमाना
कहीं जो कुछ भी टूटा मैं यही समझा मिरा दिल है
सीमाब अकबराबादी
शेर
तारा टूटते सब ने देखा ये नहीं देखा एक ने भी
किस की आँख से आँसू टपका किस का सहारा टूट गया
फ़िराक़ गोरखपुरी
शेर
किसी की आँख का तारा हुआ करते थे हम भी तो
अचानक शाम का तारा नज़र आया तो याद आया
अली इफ़्तिख़ार ज़ाफ़री
शेर
ना-उम्मीदी में भी इक उम्मीद बंधी सी रहती है
पहले पहले इश्क़ का आँसू टूटा तारा लगता है