aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "नाल"
दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो हैलम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है
ऐ मोहब्बत तिरे अंजाम पे रोना आयाजाने क्यूँ आज तिरे नाम पे रोना आया
ज़िंदगी ज़िंदा-दिली का है नाममुर्दा-दिल ख़ाक जिया करते हैं
हम को अच्छा नहीं लगता कोई हमनाम तिराकोई तुझ सा हो तो फिर नाम भी तुझ सा रक्खे
ज़िंदगी शायद इसी का नाम हैदूरियाँ मजबूरियाँ तन्हाइयाँ
जब भी आता है मिरा नाम तिरे नाम के साथजाने क्यूँ लोग मिरे नाम से जल जाते हैं
और 'फ़राज़' चाहिएँ कितनी मोहब्बतें तुझेमाओं ने तेरे नाम पर बच्चों का नाम रख दिया
वो जो न आने वाला है ना उस से मुझ को मतलब थाआने वालों से क्या मतलब आते हैं आते होंगे
वो ज़हर देता तो सब की निगह में आ जातासो ये किया कि मुझे वक़्त पे दवाएँ न दीं
आते आते मिरा नाम सा रह गयाउस के होंटों पे कुछ काँपता रह गया
आज मुझ को बहुत बुरा कह करआप ने नाम तो लिया मेरा
अपने सब यार काम कर रहे हैंऔर हम हैं कि नाम कर रहे हैं
सियाह रात नहीं लेती नाम ढलने कायही तो वक़्त है सूरज तिरे निकलने का
पहले इस में इक अदा थी नाज़ था अंदाज़ थारूठना अब तो तिरी आदत में शामिल हो गया
घरों पे नाम थे नामों के साथ ओहदे थेबहुत तलाश किया कोई आदमी न मिला
दिल पे आए हुए इल्ज़ाम से पहचानते हैंलोग अब मुझ को तिरे नाम से पहचानते हैं
बे-नाम सा ये दर्द ठहर क्यूँ नहीं जाताजो बीत गया है वो गुज़र क्यूँ नहीं जाता
आफ़त तो है वो नाज़ भी अंदाज़ भी लेकिनमरता हूँ मैं जिस पर वो अदा और ही कुछ है
बेचैन इस क़दर था कि सोया न रात भरपलकों से लिख रहा था तिरा नाम चाँद पर
हर नफ़स उम्र-ए-गुज़िश्ता की है मय्यत 'फ़ानी'ज़िंदगी नाम है मर मर के जिए जाने का
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