aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "निभाओगे"
ये मोहब्बत की कहानी नहीं मरती लेकिनलोग किरदार निभाते हुए मर जाते हैं
क्यूँ पशेमाँ हो अगर वअ'दा वफ़ा हो न सकाकहीं वादे भी निभाने के लिए होते हैं
दोस्त बन कर भी नहीं साथ निभाने वालावही अंदाज़ है ज़ालिम का ज़माने वाला
हम हैं सूखे हुए तालाब पे बैठे हुए हंसजो तअल्लुक़ को निभाते हुए मर जाते हैं
रुख़्सत करने के आदाब निभाने ही थेबंद आँखों से उस को जाता देख लिया है
अब कहाँ दोस्त मिलें साथ निभाने वालेसब ने सीखे हैं अब आदाब ज़माने वाले
पहले से मरासिम न सही फिर भी कभी तोरस्म-ओ-रह-ए-दुनिया ही निभाने के लिए आ
न जाने ख़त्म हुई कब हमारी आज़ादीतअल्लुक़ात की पाबंदियाँ निभाते हुए
ताज़ीम बड़ी शय है मगर सोच रहा हूँदस्तूर निभाऊँगा तो दस्तार गिरेगी
रस्म-ए-दुनिया तो किसी तौर निभाते जाओदिल नहीं मिलते भी तो हाथ मिलाते जाओ
ज़िंदगी एक कहानी के सिवा कुछ भी नहींलोग किरदार निभाते हुए मर जाते हैं
इक न इक रोज़ रिफ़ाक़त में बदल जाएगीदुश्मनी को भी सलीक़े से निभाते जाओ
गर आप पहले रिश्ता-ए-उल्फ़त न तोड़तेमर मिट के हम भी ख़ैर निभाते किसी तरह
धूप के साथ गया साथ निभाने वालाअब कहाँ आएगा वो लौट के आने वाला
हर बार ही मैं जान से जाने में रह गयामैं रस्म-ए-ज़िंदगी जो निभाने में रह गया
देखो उस ने क़दम क़दम पर साथ दिया बेगाने का'अख़्तर' जिस ने अहद किया था तुम से साथ निभाने का
सोचा था उन से बात निभाएँगे उम्र भरये आरज़ू भी तिश्ना-ए-तकमील रह गई
'नज़्र' फिर आया है इक रस्म निभाने का दिनसज सँवर के सभी रावन को जलाने निकले
रफ़्तार-ए-रोज़-ओ-शब से कहाँ तक निभाऊँगाथक-हार कर मैं घर की तरफ़ लौट जाऊँगा
आज व'अदा वो फिर निभाएगावादी ओ गुल पे क्या ख़ुमारी है
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