aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "पसीजा"
न मैं समझा न आप आए कहीं सेपसीना पोछिए अपनी जबीं से
हलाल रिज़्क़ का मतलब किसान से पूछोपसीना बन के बदन से लहू निकलता है
अब इत्र भी मलो तो तकल्लुफ़ की बू कहाँवो दिन हवा हुए जो पसीना गुलाब था
पसीना मेरी मेहनत का मिरे माथे पे रौशन थाचमक लाल-ओ-जवाहर की मिरी ठोकर पे रक्खी थी
पसीना मौत का माथे पे आया आइना लाओहम अपनी ज़िंदगी की आख़री तस्वीर देखेंगे
जो उन को लिपटा के गाल चूमा हया से आने लगा पसीनाहुई है बोसों की गर्म भट्टी खिंचे न क्यूँकर शराब-ए-आरिज़
तिरी ज़मीन पे करता रहा हूँ मज़दूरीहै सूखने को पसीना मुआवज़ा है कहाँ
दुनिया मेरी ज़िंदगी के दिन कम करती जाती है क्यूँख़ून पसीना एक किया है ये मेरी मज़दूरी है
नमी सी थी दम-ए-रुख़्सत कुछ उन के आँचल परवो अश्क थे कि पसीना मैं सोचता ही रहा
शबनम की है अंगिया तले अंगिया की पसीनाक्या लुत्फ़ है शबनम तह-ए-शबनम नज़र आई
दर्द-ए-दिल ने ली न थी करवट अभीउन के माथे पे पसीना आ गया
कल जो ज़िक्र-ए-जाम-ओ-मीना आ गयामेरी तौबा को पसीना आ गया
रोका था दम भर लहराता आँसूआ आ गया है दाँतों पसीना
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