aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "पस-ए-चराग़"
तू है मअ'नी पर्दा-ए-अल्फ़ाज़ से बाहर तो आऐसे पस-मंज़र में क्या रहना सर-ए-मंज़र तो आ
हर रूह पस-ए-पर्दा-ए-तरतीब-ए-अनासिरना-कर्दा गुनाहों की सज़ा काट रही है
निगाहों से ना-आश्ना चंद जल्वेपस-ए-लाला-ओ-यासमन और भी हैं
एक आवाज़ ने तोड़ी है ख़मोशी मेरीढूँढता हूँ तो पस-ए-साहिल-ए-शब कुछ भी नहीं
जाने किस किस का गला कटता पस-ए-पर्दा-ए-इश्क़खुल गए मेरी शहादत में सितमगर कितने
कौन रोया पस-ए-दीवार-ए-चमन आख़िर-ए-शबक्यूँ सबा लौट गई राहगुज़र से पूछो
पिन्हाँ हैं सद-सवाल पस-ए-पर्दा-ए-हयादिल दे दिया जवाब था लेकिन रहे ख़मोश
कोई और तो नहीं है पस-ए-ख़ंजर-आज़माईहमीं क़त्ल हो रहे हैं हमीं क़त्ल कर रहे हैं
तुम तो कहते थे कि सब क़ैदी रिहाई पा गएफिर पस-ए-दीवार-ए-ज़िंदाँ रात-भर रोता है कौन
पस-ए-पर्दा बहुत बे-पर्दगी हैबहुत बेज़ार है किरदार अपना
पस-ए-ग़ुबार भी उड़ता ग़ुबार अपना थातिरे बहाने हमें इंतिज़ार अपना था
वो अलविदा'अ का मंज़र वो भीगती पलकेंपस-ए-ग़ुबार भी क्या क्या दिखाई देता है
सता लो मुझे ज़िंदगी में सता लोखुलेगा पस-ए-मर्ग एहसान क्या था
हो रहा है पस-ए-दीवार भी कुछजाने क्या करता है करने वाला
मुश्ताक़ जम्अ हैं पए-दीदार सैकड़ोंदर पर हैं सैकड़ों पस-ए-दीवार सैकड़ों
बुझती आँखों में सुलगते हुए एहसास की लौएक शो'ला सा चमकता पस-ए-शबनम देखा
अब किसी ख़्वाब की ताबीर नहीं चाहता मैंकोई सूरत पस-ए-तस्वीर नहीं चाहता मैं
उमीद है हमें फ़र्दा हो या पस-ए-फ़र्दाज़रूर होएगी सोहबत वो यार बाक़ी है
ग़ौर से देखना हँसते हुए चेहरे की तरफ़एक मंज़र पस-ए-मंज़र कई मंज़र देगा
न जाने कैसी महरूमी पस-ए-रफ़्तार चलती हैहमेशा मेरे आगे आगे इक दीवार चलती है
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