aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "बादल"
इतने घने बादल के पीछेकितना तन्हा होगा चाँद
मैं वो सहरा जिसे पानी की हवस ले डूबीतू वो बादल जो कभी टूट के बरसा ही नहीं
दूर तक छाए थे बादल और कहीं साया न थाइस तरह बरसात का मौसम कभी आया न था
बरसात के आते ही तौबा न रही बाक़ीबादल जो नज़र आए बदली मेरी नीयत भी
बरसात का बादल तो दीवाना है क्या जानेकिस राह से बचना है किस छत को भिगोना है
इस शहर के बादल तिरी ज़ुल्फ़ों की तरह हैंये आग लगाते हैं बुझाने नहीं आते
कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता हैमगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है
ले गईं दूर बहुत दूर हवाएँ जिस कोवही बादल था मिरी प्यास बुझाने वाला
मैं बहुत ख़ुश था कड़ी धूप के सन्नाटे मेंक्यूँ तिरी याद का बादल मिरे सर पर आया
निकल गए हैं जो बादल बरसने वाले थेये शहर आब को तरसेगा चश्म-ए-तर के बग़ैर
दूर तक फैला हुआ पानी ही पानी हर तरफ़अब के बादल ने बहुत की मेहरबानी हर तरफ़
शहर की गलियों में गहरी तीरगी गिर्यां रहीरात बादल इस तरह आए कि मैं तो डर गया
सावन एक महीने 'क़ैसर' आँसू जीवन भरइन आँखों के आगे बादल बे-औक़ात लगे
पीने से कर चुका था मैं तौबा मगर 'जलील'बादल का रंग देख के नीयत बदल गई
कुछ तो एहसास-ए-मोहब्बत से हुईं नम आँखेंकुछ तिरी याद के बादल भी भिगो जाते हैं
गुज़रे हज़ार बादल पलकों के साए साएउतरे हज़ार सूरज इक शह-नशीन-ए-दिल पर
प्यास दरिया की निगाहों से छुपा रक्खी हैएक बादल से बड़ी आस लगा रक्खी है
अजब तज़ाद में काटा है ज़िंदगी का सफ़रलबों पे प्यास थी बादल थे सर पे छाए हुए
पेड़ों की तरह हुस्न की बारिश में नहा लूँबादल की तरह झूम के घर आओ किसी दिन
हाथ से किस ने साग़र पटका मौसम की बे-कैफ़ी परइतना बरसा टूट के बादल डूब चला मय-ख़ाना भी
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