आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "बिना"
शेर के संबंधित परिणाम "बिना"
शेर
बिना देखे किसी से इश्क़ कर के सोचता हूँ मैं
नहीं देखा है कुछ तो इश्क़ आख़िर देखता क्या है
राघवेंद्र द्विवेदी
शेर
रोना बिना-ए-ख़ाना-ख़राबी है मिस्ल-ए-शम्अ'
टपके जो सक़्फ़-ए-चश्म हो तो क़स्र-ए-तन ख़राब
इमदाद अली बहर
शेर
हक़ ये है कि का'बे की बिना भी न पड़ी थी
हैं जब से दर-ए-बुत-कदा पर ख़ाक-नशीं हम
सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम
शेर
ख़ाना-ए-दिल पे बिना अर्श की तू रख तो सही
फैल जाती है इमारत में ज़मीं थोड़ी सी