aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "बे-ऐब"
हमारे ऐब ने बे-ऐब कर दिया हम कोयही हुनर है कि कोई हुनर नहीं आता
बस ऐ 'मीर' मिज़्गाँ से पोंछ आँसुओं कोतू कब तक ये मोती पिरोता रहेगा
बस ऐ गिर्या आँखें तिरी क्या नहीं हैंकहाँ तक जहाँ को डुबोता रहेगा
बस ऐ निगार-ए-ज़ीस्त यक़ीं आ गया हमेंये तेरी बे-रुख़ी ये तअम्मुल न जाएगा
पास था ज़र तो कोई ऐब न थासब उयूब आए बे-ज़री के साथ
मैं दैर ओ हरम हो के तिरे कूचे में पहुँचादो मंज़िलों का फेर बस ऐ यार पड़ा है
दैर-ओ-हरम को देख लिया ख़ाक भी नहींबस ऐ तलाश-ए-यार न दर-दर फिरा मुझे
दिल-ए-पुर-आबला लाया हूँ दिखाने तुम कोबंद ऐ शीशा-गरो! अपनी दुकाँ कीजिएगा
बे-मक़्सद महफ़िल से बेहतर तन्हाईबे-मतलब बातों से अच्छी ख़ामोशी
ख़ुश-नसीबी में है यही इक ऐबबद-नसीबों के घर नहीं आती
इस से पहले कि बे-वफ़ा हो जाएँक्यूँ न ऐ दोस्त हम जुदा हो जाएँ
इश्क़ में ऐन हुनर-मंदी हैसब जिसे बे-हुनरी कहते हैं
बे-ख़ुदी में जिसे हम समझे हैं तेरा दामनऐन मुमकिन है कि अपना ही गरेबाँ निकले
बे-सबाती चमन-ए-दहर की है जिन पे खुलीहवस-ए-रंग न वो ख़्वाहिश-ए-बू करते हैं
'सौदा' जो बे-ख़बर है वही याँ करे है ऐशमुश्किल बहुत है उन को जो रखते हैं आगही
ऐ दिल-ए-बे-क़रार चुप हो जाजा चुकी है बहार चुप हो जा
ऐ ख़ुदा तू ही बे-मिसाल नहींमैं भी हूँ काएनात में तन्हा
ऐ शख़्स मैं तेरी जुस्तुजू सेबे-ज़ार नहीं हूँ थक गया हूँ
बे-ख़ता है तू फिर भी डर ऐ दोस्तबे-ख़ता ही न धर लिया जाए
सारी दुनिया से बे-नियाज़ी हैवाह ऐ मस्त-ए-नाज़ क्या कहना
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