aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "बे-कनार"
ये बे-कनार बदन कौन पार कर पायाबहे चले गए सब लोग इस रवानी में
तमाम उम्र जिसे मैं उबूर कर न सकादरून-ए-ज़ात मिरे बे-कनार सा कुछ है
तू है मुहीत-ए-बे-कराँ मैं हूँ ज़रा सी आबजूया मुझे हम-कनार कर या मुझे बे-कनार कर
ज़िंदगी भर की रियाज़त मिरी बे-कार गईइक ख़याल आया था बदले में वो क्या देता है
सफ़र ही बस कार-ए-ज़िंदगी हैअज़ाब क्या है सवाब क्या है
अब की होली में रहा बे-कार रंगऔर ही लाया फ़िराक़-ए-यार रंग
हर सहारा बे-अमल के वास्ते बे-कार हैआँख ही खोले न जब कोई उजाला क्या करे
झुकी झुकी सी नज़र बे-क़रार है कि नहींदबा दबा सा सही दिल में प्यार है कि नहीं
इक बे-क़रार दिल से मुलाक़ात कीजिएजब मिल गए हैं आप तो कुछ बात कीजिए
तुझ से मिलने को बे-क़रार था दिलतुझ से मिल कर भी बे-क़रार रहा
ऐ दिल-ए-बे-क़रार चुप हो जाजा चुकी है बहार चुप हो जा
बे-कार है बे-म'अनी है अख़बार की सुर्ख़ीलिक्खा है जो दीवार पे वो ग़ौर-तलब है
जो बहुत बे-क़रार रखते थेहाँ वही तो क़रार के दिन थे
शोलों से बे-कार डराते हो हम कोगुज़रे हैं हम सर्द जहन्नम-ज़ारों से
यूँ मेरे साथ दफ़्न दिल-ए-बे-क़रार होछोटा सा इक मज़ार के अंदर मज़ार हो
कोई मिले न मिले बे-क़रार रहता हैकि दिल का हाल भी इक मौज-ए-आब जैसा है
आफ़त हमारी जान को है बे-क़रार दिलये हाल है कि सीने में जैसे हज़ार दिल
सीने में बे-क़रार हैं मुर्दा मोहब्बतेंमुमकिन है ये चराग़ कभी ख़ुद ही जल पड़े
ख़ुश भी हो लेते हैं तेरे बे-क़रारग़म ही ग़म हो इश्क़ में ऐसा नहीं
मिली थी राह में इक बे-क़रार परछाईंघर आ गई है मिरे साथ साथ चलती हुई
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