आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "बे-फ़िक्र-ओ-नज़र"
शेर के संबंधित परिणाम "बे-फ़िक्र-ओ-नज़र"
शेर
वो और होंगे जिन को है फ़िक्र-ए-ज़ियान-ओ-सूद
दुनिया से बे-नियाज़ है मेरी ग़ज़ल का रंग
माया खन्ना राजे बरेलवी
शेर
ये मय-कदा है कलीसा ओ ख़ानक़ाह नहीं
उरूज-ए-फ़िक्र ओ फ़रोग़-ए-नज़र की मंज़िल है
ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ
शेर
फ़िक्र-ए-सुख़न तलाश-ए-मआश ओ ख़याल-ए-यार
ग़म कम हुआ तो हाँ दिल-ए-बे-ग़म से होवेगा
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
शेर
जो हुस्न-ओ-इश्क़ का हम-वज़्न इम्तिहाँ ठहरा
वो बे-दहन नज़र आया में बे-ज़बाँ ठहरा
मुंशी खैराती लाल शगुफ़्ता
शेर
मुज़्तर ख़ैराबादी
शेर
लोगों को अपनी फ़िक्र है लेकिन मुझे नदीम
बज़्म-ए-हयात-ओ-नज़्म-ए-गुलिस्ताँ की फ़िक्र है
अब्दुल मतीन नियाज़
शेर
तुम भी थे सरशार मैं भी ग़र्क-ए-बहर-ए-रंग-ओ-बू
फिर भला दोनों में आख़िर ख़ुद-कशीदा कौन था
अशअर नजमी
शेर
मोहब्बत नेक-ओ-बद को सोचने दे ग़ैर-मुमकिन है
बढ़ी जब बे-ख़ुदी फिर कौन डरता है गुनाहों से