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शेर
ये हसरत रह गई क्या क्या मज़े से ज़िंदगी करते
अगर होता चमन अपना गुल अपना बाग़बाँ अपना
मज़हर मिर्ज़ा जान-ए-जानाँ
शेर
राह-ए-उल्फ़त में मुलाक़ात हुई किस किस से
दश्त में क़ैस मिला कोह में फ़रहाद मुझे
मर्दान अली खां राना
शेर
ऐ मुहिब्बो राह-ए-उल्फ़त में हर इक शय है मबाह
किस ने खींचा है ख़त-ए-हिज्राँ तुम्हारे दरमियाँ
अब्दुल अज़ीज़ ख़ालिद
शेर
राह-ए-उल्फ़त का निशाँ ये है कि वो है बे-निशाँ
जादा कैसा नक़्श-ए-पा तक कोई मंज़िल में नहीं
अहसन मारहरवी
शेर
असरार-उल-हक़ मजाज़
शेर
किसे फ़ुर्सत कि फ़र्ज़-ए-ख़िदमत-ए-उल्फ़त बजा लाए
न तुम बेकार बैठे हो न हम बेकार बैठे हैं
आज़ाद अंसारी
शेर
राज़-ए-ग़म-ए-उल्फ़त को ये दुनिया न समझ ले
आँसू मिरे दामन में तुम्हारे भी मिले हैं
अली ज़हीर रिज़वी लखनवी
शेर
है अब इस मामूरे में क़हत-ए-ग़म-ए-उल्फ़त 'असद'
हम ने ये माना कि दिल्ली में रहें खावेंगे क्या
मिर्ज़ा ग़ालिब
शेर
अश्क-ए-ग़म-ए-उल्फ़त में इक राज़-ए-निहानी है
पी जाओ तो अमृत है बह जाए तो पानी है
आनंद नारायण मुल्ला
शेर
ये माना शीशा-ए-दिल रौनक़-ए-बाज़ार-ए-उल्फ़त है
मगर जब टूट जाता है तो क़ीमत और होती है
वामिक़ जौनपुरी
शेर
रिश्ता-ए-उल्फ़त रग-ए-जाँ में बुतों का पड़ गया
अब ब-ज़ाहिर शग़्ल है ज़ुन्नार का फ़े'अल-ए-अबस
बहराम जी
शेर
रह-ए-इश्क़-ओ-वफ़ा भी कूचा-ओ-बाज़ार हो जैसे
कभी जो हो नहीं पाता वो सौदा याद आता है
अबु मोहम्मद सहर
शेर
नक़्श-ए-उल्फ़त मिट गया तो दाग़-ए-उल्फ़त हैं बहुत
शुक्र कर ऐ दिल कि तेरे घर की दौलत घर में है
जोश मलसियानी
शेर
मुहताज नहीं क़ाफ़िला आवाज़-ए-दरा का
सीधी है रह-ए-बुत-कदा एहसान ख़ुदा का