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शेर
'फ़ितरत' दिल-ए-कौनैन की धड़कन तो ज़रा सुन
ये हज़रत-ए-इंसाँ ही की अज़्मत का बयाँ है
अब्दुल अज़ीज़ फ़ितरत
शेर
कभी हो सका तो बताऊँगा तुझे राज़-ए-आलम-ए-ख़ैर-ओ-शर
कि मैं रह चुका हूँ शुरूअ' से गहे ऐज़्द-ओ-गहे अहरमन
फ़िराक़ गोरखपुरी
शेर
होता है राज़-ए-इश्क़-ओ-मोहब्बत इन्हीं से फ़ाश
आँखें ज़बाँ नहीं हैं मगर बे-ज़बाँ नहीं
असग़र गोंडवी
शेर
'नसीर' अब हम को क्या है क़िस्सा-ए-कौनैन से मतलब
कि चश्म-ए-पुर-फुसून-ए-यार का अफ़्साना रखते हैं
शाह नसीर
शेर
सुख़न राज़-ए-नशात-ओ-ग़म का पर्दा हो ही जाता है
ग़ज़ल कह लें तो जी का बोझ हल्का हो ही जाता है
शाज़ तमकनत
शेर
राज़-ए-ग़म-ए-उल्फ़त को ये दुनिया न समझ ले
आँसू मिरे दामन में तुम्हारे भी मिले हैं
अली ज़हीर रिज़वी लखनवी
शेर
गरचे है तर्ज़-ए-तग़ाफ़ुल पर्दा-दार-ए-राज़-ए-इश्क़
पर हम ऐसे खोए जाते हैं कि वो पा जाए है