aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "रास्त-गो"
सिगरटें चाय धुआँ रात गए तक बहसेंऔर कोई फूल सा आँचल कहीं नम होता है
रात गए अक्सर दिल के वीरानों मेंइक साए का आना जाना होता है
आज आँखों में कोई रात गए आएगाआज की रात ये दरवाज़ा खुला रहने दे
बुझ गई शम्अ कटी रात गई सब महफ़िलअब अकेले ही कटेगा सफ़र-ए-परवाना
मैं अब भी रात गए उस की गूँज सुनता हूँवो हर्फ़ कम था बहुत कम मगर सदा था बहुत
ये तेरा दिवाना रात गए मालूम नहीं क्यूँ पहरों तकआँसू की लकीरों से कितने नक़्श-ए-जज़्बात बनाए है
मैं तो अब शहर में हूँ और कोई रात गएचीख़ता रहता है सहरा-ए-बदन के अंदर
यूँ रात गए किस को सदा देते हैं अक्सरवो कौन हमारा था जो वापस नहीं आया
सो भी जा ऐ दिल-ए-मजरूह बहुत रात गईअब तो रह रह के सितारों को भी नींद आती है
दूर तक जागता है सन्नाटाकौन आता है इतनी रात गए
रात की बात का मज़कूर ही क्याछोड़िए रात गई बात गई
काश कोई हम से भी पूछेरात गए तक क्यूँ जागे हो
सदा किसे दें 'नईमी' किसे दिखाएँ ज़ख़्मअब इतनी रात गए कौन जागता होगा
इश्क़ तू भी ज़रा टिका ले कमरदिल भी अब सो गया है रात गए
न मिलो खुल के तो चोरी की मुलाक़ात रहेहम बुलाएँगे तुम्हें रात गए रात रहे
ज़वाल-ए-उम्र में का'बे की आरज़ू कैसी'अक़ील' रात गए क्या किसी के घर जाना
एक दरीचे से दो आँखें रोज़ सदाएँ देती हैंरात गए घर लौटने वालो शाद रहो आबाद रहो
एक काँटे की खटक से दिल मिरा आबाद थावो गया तो दिल से मेरे दर्द की राहत गई
किस दर्द से रौशन है सियह-ख़ाना-ए-हस्तीसूरज नज़र आता है हमें रात गए भी
शाम पड़े सो जाने वाला! दीप बुझा कर यादों केरात गए तक जाग रहा था पहली पहली बारिश में
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