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शेर
लज़्ज़त-ए-दर्द-ए-हब्बत नहीं होती जिस में
दिल वो मिट्टी का वो मिट्टी का जिगर होता है
जलील मानिकपूरी
शेर
लज़्ज़त-ए-दर्द-ए-हब्बत जो नुमायाँ हो जाए
हर फ़रिश्ते को ये हसरत हो कि इंसाँ हो जाए
निसार यार ज़ंग मिज़ाज
शेर
यूँ बढ़ी साअत-ब-साअत लज़्ज़त-ए-दर्द-ए-फ़िराक़
रफ़्ता रफ़्ता मैं ने ख़ुद को दुश्मन-ए-जाँ कर दिया
मुईन अहसन जज़्बी
शेर
रहरव-ए-राह-ए-मोहब्बत रह न जाना राह में
लज़्ज़त-ए-सहरा-नवर्दी दूरी-ए-मंज़िल में है