aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "लौटना"
ये सच है उस से बिछड़ कर मुझे ज़माना हुआमगर वो लौटना चाहे तो फिर ज़माना भी क्या
लौटना चाहिए ज़िंदगी की तरफ़ज़िंदगी की तरफ़ लौटना चाहिए
ऐसे बढ़े कि मंज़िलें रस्ते में बिछ गईंऐसे गए कि फिर न कभी लौटना हुआ
अपनी जानिब नहीं अब लौटना मुमकिन मेराढल गया हूँ मैं सरापा तिरे आईने में
आगे निकल गए थे ज़रा अपने-आप सेहम को 'हबीब' ख़ुद की तरफ़ लौटना पड़ा
मैं लौटने के इरादे से जा रहा हूँ मगरसफ़र सफ़र है मिरा इंतिज़ार मत करना
कब लौटा है बहता पानी बिछड़ा साजन रूठा दोस्तहम ने उस को अपना जाना जब तक हाथ में दामाँ था
वो कहीं भी गया लौटा तो मिरे पास आयाबस यही बात है अच्छी मिरे हरजाई की
दुनिया ने तजरबात ओ हवादिस की शक्ल मेंजो कुछ मुझे दिया है वो लौटा रहा हूँ मैं
तलाक़ दे तो रहे हो इताब-ओ-क़हर के साथमिरा शबाब भी लौटा दो मेरी महर के साथ
मैं उसे देख के लौटा हूँ तो क्या देखता हूँशहर का शहर मुझे देखने आया हुआ है
अजीब शख़्स था लौटा गया मिरा सब कुछमुआवज़ा न लिया देख-भाल करने का
चमन से रुख़्सत-ए-गुल है न लौटने के लिएतो बुलबुलों का तड़पना यहाँ पे जाएज़ है
इस सफ़र से कोई लौटा नहीं किस से पूछेंकैसी मंज़िल है जहान-ए-गुज़राँ से आगे
बाहर सारे मैदाँ जीत चुका था वोघर लौटा तो पल भर में ही टूटा था
एहसान-ए-रब मोहब्बतें इतनी मिलीं 'अदील'इस उम्र-ए-मुख़्तसर में न लौटा सकेंगे हम
किसी के लौटने की जब सदा सुनी तो खुलाकि मेरे साथ कोई और भी सफ़र में था
सुना है धूप को घर लौटने की जल्दी हैवो आज वक़्त से पहले ही शाम कर देगी
जब भी लौटा गाँव के बाज़ार सेमुझ को सब बच्चों ने देखा प्यार से
एक दरीचे से दो आँखें रोज़ सदाएँ देती हैंरात गए घर लौटने वालो शाद रहो आबाद रहो
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