aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "वफ़ा"
वफ़ा करेंगे निबाहेंगे बात मानेंगेतुम्हें भी याद है कुछ ये कलाम किस का था
हम को उन से वफ़ा की है उम्मीदजो नहीं जानते वफ़ा क्या है
हम से कोई तअल्लुक़-ए-ख़ातिर तो है उसेवो यार बा-वफ़ा न सही बेवफ़ा तो है
अंजाम-ए-वफ़ा ये है जिस ने भी मोहब्बत कीमरने की दुआ माँगी जीने की सज़ा पाई
इस से पहले कि बे-वफ़ा हो जाएँक्यूँ न ऐ दोस्त हम जुदा हो जाएँ
ढूँड उजड़े हुए लोगों में वफ़ा के मोतीये ख़ज़ाने तुझे मुमकिन है ख़राबों में मिलें
'शाद' ग़ैर-मुमकिन है शिकवा-ए-बुताँ मुझ सेमैं ने जिस से उल्फ़त की उस को बा-वफ़ा पाया
उल्फ़त में बराबर है वफ़ा हो कि जफ़ा होहर बात में लज़्ज़त है अगर दिल में मज़ा हो
बेवफ़ाई पे तेरी जी है फ़िदाक़हर होता जो बा-वफ़ा होता
दिल से निकलेगी न मर कर भी वतन की उल्फ़तमेरी मिट्टी से भी ख़ुशबू-ए-वफ़ा आएगी
इक बार उस ने मुझ को देखा था मुस्कुरा करइतनी तो है हक़ीक़त बाक़ी कहानियाँ हैं
वफ़ा तुझ से ऐ बेवफ़ा चाहता हूँमिरी सादगी देख क्या चाहता हूँ
वफ़ा जिस से की बेवफ़ा हो गयाजिसे बुत बनाया ख़ुदा हो गया
वफ़ा तुम से करेंगे दुख सहेंगे नाज़ उठाएँगेजिसे आता है दिल देना उसे हर काम आता है
क्यूँ पशेमाँ हो अगर वअ'दा वफ़ा हो न सकाकहीं वादे भी निभाने के लिए होते हैं
उसे क्यूँ हम ने दिया दिल जो है बे-मेहरी में कामिल जिसे आदत है जफ़ा कीजिसे चिढ़ मेहर-ओ-वफ़ा की जिसे आता नहीं आना ग़म-ओ-हसरत का मिटाना जो सितम में है यगाना
ये काफ़ी है कि हम दुश्मन नहीं हैंवफ़ा-दारी का दावा क्यूँ करें हम
वफ़ा की कौन सी मंज़िल पे उस ने छोड़ा थाकि वो तो याद हमें भूल कर भी आता है
एक औरत से वफ़ा करने का ये तोहफ़ा मिलाजाने कितनी औरतों की बद-दुआएँ साथ हैं
दुश्मनों की जफ़ा का ख़ौफ़ नहींदोस्तों की वफ़ा से डरते हैं
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