aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "शार्क"
घर में ख़ुद को क़ैद तो मैं ने आज किया हैतब भी तन्हा था जब महफ़िल महफ़िल था मैं
रात थी जब तुम्हारा शहर आयाफिर भी खिड़की तो मैं ने खोल ही ली
वो बात सोच के मैं जिस को मुद्दतों जीताबिछड़ते वक़्त बताने की क्या ज़रूरत थी
अब मुझे कौन जीत सकता हैतू मिरे दिल का आख़िरी डर था
कौन कहे मा'सूम हमारा बचपन थाखेल में भी तो आधा आधा आँगन था
हैं अब इस फ़िक्र में डूबे हुए हमउसे कैसे लगे रोते हुए हम
कौन था वो जिस ने ये हाल किया है मेराकिस को इतनी आसानी से हासिल था मैं
कैसे टुकड़ों में उसे कर लूँ क़ुबूलजो मिरा सारे का सारा था कभी
सब आसान हुआ जाता हैमुश्किल वक़्त तो अब आया है
कहाँ सोचा था मैं ने बज़्म-आराई से पहलेये मेरी आख़िरी महफ़िल है तन्हाई से पहले
झूट पर उस के भरोसा कर लियाधूप इतनी थी कि साया कर लिया
फ़ासला रख के भी क्या हासिल हुआआज भी उस का ही कहलाता हूँ मैं
मौत ने सारी रात हमारी नब्ज़ टटोलीऐसा मरने का माहौल बनाया हम ने
नया यूँ है कि अन-देखा है सब कुछयहाँ तक रौशनी आती कहाँ थी
आओ गले मिल कर ये देखेंअब हम में कितनी दूरी है
सारी दुनिया से लड़े जिस के लिएएक दिन उस से भी झगड़ा कर लिया
दुनिया शायद भूल रही हैचाहत कुछ ऊँचा सुनती है
जिन पर मैं थोड़ा सा भी आसान हुआ हूँवही बता सकते हैं कितना मुश्किल था मैं
वहाँ ईद क्या वहाँ दीद क्याजहाँ चाँद रात न आई हो
अचानक हड़बड़ा कर नींद से मैं जाग उट्ठा हूँपुराना वाक़िआ है जिस पे हैरत अब हुई है
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