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शेर
वही हिकायत-ए-दिल थी वही शिकायत-ए-दिल
थी एक बात जहाँ से भी इब्तिदा करते
मिर्ज़ा मोहम्मद हादी अज़ीज़ लखनवी
शेर
हिज्र में मुस्कुराए जा दिल में उसे तलाश कर
नाज़-ए-सितम उठाए जा राज़-ए-सितम न फ़ाश कर
फ़ानी बदायुनी
शेर
ये एहतिजाज अजब है ख़िलाफ़-ए-तेग़-ए-सितम
ज़मीं में जज़्ब नहीं हो रहा है ख़ूँ मेरा