aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "सड़क"
बीच सड़क इक लाश पड़ी थी और ये लिक्खा थाभूक में ज़हरीली रोटी भी मीठी लगती है
बारिश के बा'द रात सड़क आइना सी थीइक पाँव पानियों पे पड़ा चाँद हिल गया
मैं आईना बनूँगा तू पत्थर उठाएगाइक दिन खुली सड़क पे ये नौबत भी आएगी
इक और खेत पक्की सड़क ने निगल लियाइक और गाँव शहर की वुसअत में खो गया
पक्का रस्ता कच्ची सड़क और फिर पगडंडीजैसे कोई चलते चलते थक जाता है
सड़क पे बैठ गए देखते हुए दुनियाऔर ऐसे तर्क हुई एक ख़ुद-कुशी हम से
सड़क पे चलते हुए आँखें बंद रखता हूँतिरे जमाल का ऐसा मज़ा पड़ा है मुझे
कहाँ भटकते फिरोगे 'अल्वी'सड़क से पूछो किधर गई है
जिस बात का मतलब ख़ुश्बू है हर गाँव के कच्चे रस्ते परउस बात का मतलब बदलेगा जब पक्की सड़क आ जाएगी
घरों में क़ैद हैं बस्ती के शोरफ़ासड़क पर हैं फ़सादी और गुंडे
लम्बी सड़क पे दूर तलक कोई भी न थापलकें झपक रहा था दरीचा खुला हुआ
हर एक कूचा है साकित हर इक सड़क वीराँहमारे शहर में तक़रीर कर गया ये कौन
फिर जा रुकेगी बुझते ख़राबों के देस मेंसूनी सुलगती सोचती सुनसान सी सड़क
फिर तुझे और मुझे और कहीं जाना हैहम-सफ़र साथ तो चल जितनी सड़क बाक़ी है
सड़क के पार चला जा रहा है बचता हुआकिसी का हाथ कोई मेहरबान थामे हुए
अटा है शहर बारूदी धुएँ सेसड़क पर चंद बच्चे रो रहे हैं
खिलौने की तड़प में ख़ुद खिलौना वो न बन जाएमिरा बच्चा सड़क पर रेज़गारी ले के निकला है
यक्का उलट के रह गया घोड़ा भड़क गयाकाली सड़क पे चाँद सा चेहरा चमक गया
हवस-गिरफ़्ता हवाओ निगाहें नीची रखोशजर खड़े हैं सड़क के क़रीन बे-पर्दा
जो मरा है हादसे में मिरा उस से क्या था रिश्ताये सड़क जो ख़ूँ में तर है मुझे क्यूँ पुकारती है
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