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शेर
होश वालों को ख़बर क्या बे-ख़ुदी क्या चीज़ है
इश्क़ कीजे फिर समझिए ज़िंदगी क्या चीज़ है
निदा फ़ाज़ली
शेर
क्या क्या रोग लगे हैं दिल को क्या क्या उन के भेद
हम सब को समझाने वाले कौन हमें समझाए
जमीलुद्दीन आली
शेर
ज़बाँ ख़ामोश माथे पर शिकन आँखों में अफ़्साने
कोई समझाए क्या कहते हैं इस तर्ज़-ए-तकल्लुम को
इक़बाल अज़ीम
शेर
अब भी खड़ी है सोच में डूबी उजयालों का दान लिए
आज भी रेखा पार है रावण सीता को समझाए कौन