aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "सय्यद-ए-उमम"
मैं तुझ को बताता हूँ तक़दीर-ए-उमम क्या हैशमशीर-ओ-सिनाँ अव्वल ताऊस-ओ-रुबाब आख़िर
डूब जाए न कहीं ज़ोर-ए-तलातुम में 'असद'इक नज़र शाह-ए-उमम मेरे सफ़ीने की तरफ़
किताब-ए-उम्र से सब हर्फ़ उड़ गए मेरेकि मुझ असीर को होना है हम-कलाम उस का
तमाम उम्र जिसे आब-ए-तल्ख़ से सींचाअब उस शजर का कोई फल कहाँ से मीठा हो
ये क्या पड़ी है तुझे दिल जलों में बैठने कीये उम्र तो है मियाँ दोस्तों में बैठने की
हँस मगर हँसने से पहले सोच लेये न हो फिर उम्र भर रोना पड़े
बाज़ार-ए-आरज़ू में कटी जा रही है उम्रहम को ख़रीद ले वो ख़रीदार चाहिए
एक दिन देखने को आ जातेये हवस उम्र भर नहीं होती
तमाम उम्र कटी उस की जुस्तुजू करतेबड़े दिनों में ये तर्ज़-ए-कलाम आया है
अच्छा है कि सिर्फ़ इश्क़ कीजेये उम्र तो यूँ भी राएगाँ है
आवाज़ दे के देख लो शायद वो मिल ही जाएवर्ना ये उम्र भर का सफ़र राएगाँ तो है
जिस को कहते हैं अरसा-ए-हस्तीतौसन-ए-उम्र की है इक सरपट
किस तरह जवानी में चलूँ राह पे नासेहये उम्र ही ऐसी है सुझाई नहीं देता
ये उम्र भर का सफ़र है इसी सहारे परकि वो खड़ा है अभी दूसरे किनारे पर
किसी के रास्ते की ख़ाक में पड़े हैं 'ज़फ़र'मता-ए-उम्र यही आजिज़ी निकलती है
ज़वाल-ए-उम्र में का'बे की आरज़ू कैसी'अक़ील' रात गए क्या किसी के घर जाना
रिश्ता-ए-उमर-दराज़ अपना मैं कोताह करूँआवे ये तार अगर तेरे ब-कार-ए-दामन
एक पत्ता शजर-ए-उम्र से लो और गिरालोग कहते हैं मुबारक हो नया साल तुम्हें
बोझ उठाते हुए फिरती है हमारा अब तकऐ ज़मीं माँ तिरी ये उम्र तो आराम की थी
अव्वल-ए-उम्र में देखा उसे जिस ने ये कहाकाम आतिश का करेगा ये शरारा आख़िर
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