आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "साद"
शेर के संबंधित परिणाम "साद"
शेर
जो चश्म-ए-दिल-रुबा के वस्फ़ में अशआ'र लिखता हूँ
तो हर हर लफ़्ज़ पर अहल-ए-नज़र इक साद करते हैं
दत्तात्रिया कैफ़ी
शेर
आँख अपनी तिरी अबरू पे जमी रहती है
रोज़ इस बैत पे हम साद किया करते हैं
मुंशी देबी प्रसाद सहर बदायुनी
शेर
हज़ारों साल नर्गिस अपनी बे-नूरी पे रोती है
बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदा-वर पैदा
अल्लामा इक़बाल
शेर
किसी के तुम हो किसी का ख़ुदा है दुनिया में
मिरे नसीब में तुम भी नहीं ख़ुदा भी नहीं