aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "हलचल"
ख़ुद अपनी मस्ती है जिस ने मचाई है हलचलनशा शराब में होता तो नाचती बोतल
कोई आवाज़ न आहट न कोई हलचल हैऐसी ख़ामोशी से गुज़रे तो गुज़र जाएँगे
कोई हलचल है न आहट न सदा है कोईदिल की दहलीज़ पे चुप-चाप खड़ा है कोई
आज दरिया में अजब शोर अजब हलचल हैकिस की कश्ती ने क़दम आब-ए-रवाँ पर रक्खा
पानी में ज़रा देर को हलचल तो हुई थीफिर यूँ था कि जैसे कोई डूबा ही नहीं था
कोई कंकर फेंकने वाला नहींकैसे फिर हो झील में हलचल कोई
कंकर फेंक रहे हैं ये अंदाज़ा करने कोठहरा पानी कितनी 'हुमैरा' हलचल रखता है
नाम मेरा याद करके चुस्कियों के बीच मेंक्या हुई है चाय के कप में तिरे हलचल कभी
आ उम्र-ए-रफ़्ता हश्र के दम-ख़म भी देख लेंतूफ़ान-ए-ज़िंदगी की वो हलचल उठा तो ला
आराम किसे देती है अय्याम की गर्दिशसीधा कोई हलचल में खड़ा हो नहीं सकता
करवटों से बस की बस में और हलचल हो गईदास्तान-ए-इश्क़ कितनों की मुकम्मल हो गई
हलाल रिज़्क़ का मतलब किसान से पूछोपसीना बन के बदन से लहू निकलता है
रक़ीब क़त्ल हुआ उस की तेग़-ए-अबरू सेहराम-ज़ादा था अच्छा हुआ हलाल हुआ
बुरा ही क्या है बरतना पुरानी रस्मों काकभी शराब का पीना भी क्या हलाल न था
मिलेगा ग़ैर भी उन के गले ब-शौक़ ऐ दिलहलाल करने मुझे ईद का हिलाल आया
ज़ाहिद शराब-ए-नाब हो या बादा-ए-तुहूरपीने ही पर जब आए हराम ओ हलाल क्या
जनाब-ए-शैख़ को सूझे न फिर हराम ओ हलालअभी पिएँ जो मिले मुफ़्त की शराब कहीं
मेरी नींदें हराम क्या होंगीघर में रिज़्क़-ए-हलाल आता है
वाइ'ज़ ये मय-कदा है न मस्जिद कि इस जगहज़िक्र-ए-हलाल पर भी है फ़तवा हराम का
फ़तवा दिया है मुफ़्ती-ए-अब्र-ए-बहार नेतौबा का ख़ून बादा-कशों को हलाल है
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