aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम ".alp"
और क्या देखने को बाक़ी हैआप से दिल लगा के देख लिया
दिल आबाद कहाँ रह पाए उस की याद भुला देने सेकमरा वीराँ हो जाता है इक तस्वीर हटा देने से
आप के बा'द हर घड़ी हम नेआप के साथ ही गुज़ारी है
आप पहलू में जो बैठें तो सँभल कर बैठेंदिल-ए-बेताब को आदत है मचल जाने की
जो कहा मैं ने कि प्यार आता है मुझ को तुम परहँस के कहने लगा और आप को आता क्या है
ये इल्म का सौदा ये रिसाले ये किताबेंइक शख़्स की यादों को भुलाने के लिए हैं
शाम से आँख में नमी सी हैआज फिर आप की कमी सी है
मकतब-ए-इश्क़ का दस्तूर निराला देखाउस को छुट्टी न मिले जिस को सबक़ याद रहे
इल्म में भी सुरूर है लेकिनये वो जन्नत है जिस में हूर नहीं
इस नहीं का कोई इलाज नहींरोज़ कहते हैं आप आज नहीं
''आप की याद आती रही रात भर''चाँदनी दिल दुखाती रही रात भर
मुझ को आदत है रूठ जाने कीआप मुझ को मना लिया कीजे
ऐ सनम जिस ने तुझे चाँद सी सूरत दी हैउसी अल्लाह ने मुझ को भी मोहब्बत दी है
साहिल के सुकूँ से किसे इंकार है लेकिनतूफ़ान से लड़ने में मज़ा और ही कुछ है
आप दौलत के तराज़ू में दिलों को तौलेंहम मोहब्बत से मोहब्बत का सिला देते हैं
आज मुझ को बहुत बुरा कह करआप ने नाम तो लिया मेरा
किस तरह जमा कीजिए अब अपने आप कोकाग़ज़ बिखर रहे हैं पुरानी किताब के
अपना ज़माना आप बनाते हैं अहल-ए-दिलहम वो नहीं कि जिन को ज़माना बना गया
बुत-ख़ाना तोड़ डालिए मस्जिद को ढाइएदिल को न तोड़िए ये ख़ुदा का मक़ाम है
कुछ ख़बर है तुझे ओ चैन से सोने वालेरात भर कौन तिरी याद में बेदार रहा
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