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शेर
हज़ारों साल नर्गिस अपनी बे-नूरी पे रोती है
बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदा-वर पैदा
अल्लामा इक़बाल
शेर
वो आँख क्या जो आरिज़ ओ रुख़ पर ठहर न जाए
वो जल्वा क्या जो दीदा ओ दिल में उतर न जाए