aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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चूँ शम-ए-सोज़ाँ चूँ ज़र्रा हैराँ ज़े मेहर-ए-आँ-मह बगश्तम आख़िरन नींद नैनाँ न अंग चैनाँ न आप आवे न भेजे पतियाँ
नश्शा सा डोलता है तिरे अंग अंग परजैसे अभी भिगो के निकाला हो जाम से
आवाज़ की दीवार भी चुप-चाप खड़ी थीखिड़की से जो देखा तो गली ऊँघ रही थी
अंग अंग से रंग रंग के फूल बरसते देखे कौनरंग रंग से शोले बरसे कैसे बरसे सोचे कौन
मिरे अंग अंग में बस गईये जो शाइ'री है ये कौन है
लिबास में है वो तर्ज़-ए-तपाक-ए-आराइशजो अंग चाहे छुपाना झलक झलक जाए
ये इश्क़ नहीं आसाँ इतना ही समझ लीजेइक आग का दरिया है और डूब के जाना है
आँख से दूर न हो दिल से उतर जाएगावक़्त का क्या है गुज़रता है गुज़र जाएगा
रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ाइलजब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है
कब ठहरेगा दर्द ऐ दिल कब रात बसर होगीसुनते थे वो आएँगे सुनते थे सहर होगी
शाम से आँख में नमी सी हैआज फिर आप की कमी सी है
आग थे इब्तिदा-ए-इश्क़ में हमअब जो हैं ख़ाक इंतिहा है ये
कभी तो चौंक के देखे कोई हमारी तरफ़किसी की आँख में हम को भी इंतिज़ार दिखे
दिल पागल है रोज़ नई नादानी करता हैआग में आग मिलाता है फिर पानी करता है
हया नहीं है ज़माने की आँख में बाक़ीख़ुदा करे कि जवानी तिरी रहे बे-दाग़
आँख से दूर सही दिल से कहाँ जाएगाजाने वाले तू हमें याद बहुत आएगा
तिरे जमाल की तस्वीर खींच दूँ लेकिनज़बाँ में आँख नहीं आँख में ज़बान नहीं
दिल के फफूले जल उठे सीने के दाग़ सेइस घर को आग लग गई घर के चराग़ से
जानता है कि वो न आएँगेफिर भी मसरूफ़-ए-इंतिज़ार है दिल
आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखोज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो
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