aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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निगाहें इस क़दर क़ातिल कि उफ़ उफ़अदाएँ इस क़दर प्यारी कि तौबा
पहली नज़र भी आप की उफ़ किस बला की थीहम आज तक वो चोट हैं दिल पर लिए हुए
उफ़ वो तूफ़ान-ए-शबाब आह वो सीना तेराजिसे हर साँस में दब दब के उभरता देखा
अपनी उर्दू तो मोहब्बत की ज़बाँ थी प्यारेउफ़ सियासत ने उसे जोड़ दिया मज़हब से
ज़ेहन ओ दिल के फ़ासले थे हम जिन्हें सहते रहेएक ही घर में बहुत से अजनबी रहते रहे
रह गया दर्द दिल के पहलू मेंये जो उल्फ़त थी दर्द-ए-सर न हुई
कैसी हैं आज़माइशें कैसा ये इम्तिहान हैमेरे जुनूँ के वास्ते हिज्र की एक रात बस
इफ़्शा-ए-राज़-ए-इश्क़ में गो ज़िल्लतें हुईंलेकिन उसे जता तो दिया जान तो गया
पत्थर के जिस्म मोम के चेहरे धुआँ धुआँकिस शहर में उड़ा के हवा ले गई मुझे
फ़क़त उमीद है बख़्शिश की तेरी रहमत सेवगर्ना अफ़्व के क़ाबिल मिरे गुनाह नहीं
इस क़दर डूबे गुनाह-ए-इश्क़ में तेरे हबीबसोचते हैं जाएँगे किस मुँह से तौबा की तरफ़
याद आए हैं उफ़ गुनह क्या क्याहाथ उठाए हैं जब दुआ के लिए
ख़्वाब में आँखें जो तलवों से मलींबोले उफ़ उफ़ पाँव मेरा छिल गया
वो मिल गया तो बिछड़ना पड़ेगा फिर 'ज़र्रीं'इसी ख़याल से हम रास्ते बदलते रहे
शुक्रिया तुम ने बुझाया मिरी हस्ती का चराग़तुम सज़ा-वार नहीं तुम ने तो अच्छाई की
देख कर इंसान की बेचारगीशाम से पहले परिंदे सो गए
वो मुझ को भूल चुका अब यक़ीन है वर्नावफ़ा नहीं तो जफ़ाओं का सिलसिला रखता
जब बात वफ़ा की आती है जब मंज़र रंग बदलता हैऔर बात बिगड़ने लगती है वो फिर इक वा'दा करते हैं
अगर वो चाँद की बस्ती का रहने वाला थातो अपने साथ सितारों का क़ाफ़िला रखता
कौन पहचानेगा 'ज़र्रीं' मुझ को इतनी भीड़ मेंमेरे चेहरे से वो अपनी हर निशानी ले गया
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