aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम ".ikis"
वो अक्स बन के मिरी चश्म-ए-तर में रहता हैअजीब शख़्स है पानी के घर में रहता है
वो चाँद है तो अक्स भी पानी में आएगाकिरदार ख़ुद उभर के कहानी में आएगा
हमारी मुस्कुराहट पर न जानादिया तो क़ब्र पर भी जल रहा है
चाँद भी हैरान दरिया भी परेशानी में हैअक्स किस का है कि इतनी रौशनी पानी में है
अंजाम को पहुँचूँगा मैं अंजाम से पहलेख़ुद मेरी कहानी भी सुनाएगा कोई और
पानी में अक्स और किसी आसमाँ का हैये नाव कौन सी है ये दरिया कहाँ का है
वो जो प्यासा लगता था सैलाब-ज़दा थापानी पानी कहते कहते डूब गया है
अक्स-ए-ख़ुशबू हूँ बिखरने से न रोके कोईऔर बिखर जाऊँ तो मुझ को न समेटे कोई
मैं ख़याल हूँ किसी और का मुझे सोचता कोई और हैसर-ए-आईना मिरा अक्स है पस-ए-आईना कोई और है
अंदर की दुनिया से रब्त बढ़ाओ 'आनिस'बाहर खुलने वाली खिड़की बंद पड़ी है
इक डूबती धड़कन की सदा लोग न सुन लेंकुछ देर को बजने दो ये शहनाई ज़रा और
वो एक अक्स कि पल भर नज़र में ठहरा थातमाम उम्र का अब सिलसिला है मेरे लिए
यार मैं इतना भूका हूँधोका भी खा लेता हूँ
आशिक़ को देखते हैं दुपट्टे को तान करदेते हैं हम को शर्बत-ए-दीदार छान कर
हैरत से जो यूँ मेरी तरफ़ देख रहे होलगता है कभी तुम ने समुंदर नहीं देखा
क्यूँ खुल गए लोगों पे मिरी ज़ात के असरारऐ काश कि होती मिरी गहराई ज़रा और
था इंतिज़ार मनाएँगे मिल के दीवालीन तुम ही लौट के आए न वक़्त-ए-शाम हुआ
अश्क-ए-ग़म दीदा-ए-पुर-नम से सँभाले न गएये वो बच्चे हैं जो माँ बाप से पाले न गए
मुमकिन है कि सदियों भी नज़र आए न सूरजइस बार अंधेरा मिरे अंदर से उठा है
'अनीस' आसाँ नहीं आबाद करना घर मोहब्बत काये उन का काम है जो ज़िंदगी बर्बाद करते हैं
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