aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम ".imh"
हम आह भी करते हैं तो हो जाते हैं बदनामवो क़त्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होता
किसी को घर से निकलते ही मिल गई मंज़िलकोई हमारी तरह उम्र भर सफ़र में रहा
ये इश्क़ नहीं आसाँ इतना ही समझ लीजेइक आग का दरिया है और डूब के जाना है
हुस्न के समझने को उम्र चाहिए जानाँदो घड़ी की चाहत में लड़कियाँ नहीं खुलतीं
उम्र-ए-दराज़ माँग के लाई थी चार दिनदो आरज़ू में कट गए दो इंतिज़ार में
सुब्ह होती है शाम होती हैउम्र यूँही तमाम होती है
मैं रहा उम्र भर जुदा ख़ुद सेयाद मैं ख़ुद को उम्र भर आया
आवाज़ दे के देख लो शायद वो मिल ही जाएवर्ना ये उम्र भर का सफ़र राएगाँ तो है
आरज़ू है कि तू यहाँ आएऔर फिर उम्र भर न जाए कहीं
आग थे इब्तिदा-ए-इश्क़ में हमअब जो हैं ख़ाक इंतिहा है ये
आह को चाहिए इक उम्र असर होते तककौन जीता है तिरी ज़ुल्फ़ के सर होते तक
कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगेजाने कैसे लोग वो होंगे जो उस को भाते होंगे
दिल पागल है रोज़ नई नादानी करता हैआग में आग मिलाता है फिर पानी करता है
मुझे ख़बर थी मिरा इंतिज़ार घर में रहाये हादसा था कि मैं उम्र भर सफ़र में रहा
कुछ इस तरह से गुज़ारी है ज़िंदगी जैसेतमाम उम्र किसी दूसरे के घर में रहा
हम अम्न चाहते हैं मगर ज़ुल्म के ख़िलाफ़गर जंग लाज़मी है तो फिर जंग ही सही
दिल के फफूले जल उठे सीने के दाग़ सेइस घर को आग लग गई घर के चराग़ से
सदा ऐश दौराँ दिखाता नहींगया वक़्त फिर हाथ आता नहीं
दोस्ती आम है लेकिन ऐ दोस्तदोस्त मिलता है बड़ी मुश्किल से
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सहीहो कहीं भी आग लेकिन आग जलनी चाहिए
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