aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम ".isfa"
किया था अहद जब लम्हों में हम नेतो सारी उम्र ईफ़ा क्यूँ करें हम
उस के ईफ़ा-ए-अहद तक न जिएउम्र ने हम से बेवफ़ाई की
इतना मसरूफ़ कर लिया ख़ुद कोग़म भी आ कर ख़ुशी से लौट गए
आस्था का रंग आ जाए अगर माहौल मेंएक राखी ज़िंदगी का रुख़ बदल सकती है आज
तुम्हारी ख़ुश-नसीबी है कि तुम समझे नहीं अब तकअकेले-पन में और तन्हाई में जो फ़र्क़ होता है
बाज़ चेहरे बहुत हसीन सहीफिर भी कितनों से दोस्ती की जाए
कुछ उम्र अपनी ज़ात का दुख झेलते रहेकुछ उम्र काएनात का दुख झेलना पड़ा
यही सबब है कि अक्सर उदास रहते हैंजो हम से दूर हैं वो आस पास रहते हैं
उस से कोई गिला भी करें हम तो क्या करेंवा'दा कोई किया ही नहीं उस ने आज तक
पर समेटे ख़ुद ही बैठा है परिंदा इक तरफ़जो क़फ़स में ही नहीं उस को रिहा कैसे करूँ
एक लड़की चूड़ियाँ खनका रही थी और तभीउस खनक से उठ रहा था जैसे ज़िंदानी का शोर
किसी से भी मुख़ातिब हों कोई भी बात होती होतुम्हारा नाम लेने का बहाना ढूँड लेते हैं
वो मेरे ख़्वाब ले के सिरहाने खड़ा रहामैं सो रही थी उस ने जगाया नहीं मुझे
मुझ पे आसाँ है कहे लफ़्ज़ का ईफ़ा करनाउस को मुश्किल है तो वो अपनी सुहूलत देखे
एक आलिम है जो सज्दों में गिला करता हैएक दरवेश है जो हालात-ए-नमनाक में ख़ुश
उजलत में वो देखो क्या क्या छोड़ गयाअपनी बातें अपना चेहरा छोड़ गया
मेरी माँ तो मिरी जन्नत को लिए बैठी हैऐसे कर लो मिरे पुरखों की दुआ तुम रख लो
वो उन का व'अदा वो ईफ़ा-ए-अहद का आलमकि याद भी नहीं आता है भूलता भी नहीं
दरयाफ़्त कर लिया है बसाया नहीं मुझेसामान रख दिया है सजाया नहीं मुझे
ख़ाना-ब-दोश हो मुझे हिज्र-ओ-विसाल एकऐसे भी ख़ुश नहीं हूँ मैं वैसे भी ख़ुश नहीं
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