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शेर
आख़िर उस की सूखी लकड़ी एक चिता के काम आई
हरे-भरे क़िस्से सुनते थे जिस पीपल के बारे में
प्रेम वारबर्टनी
शेर
है राह-ए-आशिक़ी तारीक और बारीक और सुकड़ी
नहीं कुछ काम आने की यहाँ ज़ाहिद तिरी लकड़ी