aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम ".nub"
मैं तो ग़ज़ल सुना के अकेला खड़ा रहासब अपने अपने चाहने वालों में खो गए
मिरे जुनूँ का नतीजा ज़रूर निकलेगाइसी सियाह समुंदर से नूर निकलेगा
तुम हुस्न की ख़ुद इक दुनिया हो शायद ये तुम्हें मालूम नहींमहफ़िल में तुम्हारे आने से हर चीज़ पे नूर आ जाता है
अदा आई जफ़ा आई ग़ुरूर आया हिजाब आयाहज़ारों आफ़तें ले कर हसीनों पर शबाब आया
हम इंतिज़ार करें हम को इतनी ताब नहींपिला दो तुम हमें पानी अगर शराब नहीं
आइना ये तो बताता है कि मैं क्या हूँ मगरआइना इस पे है ख़ामोश कि क्या है मुझ में
सुनते रहे हैं आप के औसाफ़ सब से हममिलने का आप से कभी मौक़ा नहीं मिला
न किसी की आँख का नूर हूँ न किसी के दिल का क़रार हूँजो किसी के काम न आ सके मैं वो एक मुश्त-ए-ग़ुबार हूँ
यही मिलने का समय भी है बिछड़ने का भीमुझ को लगता है बहुत अपने से डर शाम के बाद
ज़िंदगी से बड़ी सज़ा ही नहींऔर क्या जुर्म है पता ही नहीं
उस के फ़रोग़-ए-हुस्न से झमके है सब में नूरशम-ए-हरम हो या कि दिया सोमनात का
कैसी अजीब शर्त है दीदार के लिएआँखें जो बंद हों तो वो जल्वा दिखाई दे
गर्दिश-ए-माह-ओ-साल से आगे निकल गया हूँ मैंजैसे बदल गए हो तुम जैसे बदल गया हूँ मैं
दिन तो ख़ैर गुज़र जाता हैरातें पागल कर देती हैं
कैसे थे लोग जिन की ज़बानों में नूर थाअब तो तमाम झूट है सच्चाइयों में भी
चाहे सोने के फ़्रेम में जड़ दोआइना झूट बोलता ही नहीं
मिलना जो न हो तुम को तो कह दो न मिलेंगेये क्या कभी परसों है कभी कल है कभी आज
गो आबले हैं पाँव में फिर भी ऐ रहरवोमंज़िल की जुस्तुजू है तो जारी रहे सफ़र
इश्क़ में कुछ नज़र नहीं आयाजिस तरफ़ देखिए अँधेरा है
कौन तन्हाई का एहसास दिलाता है मुझेये भरा शहर भी तन्हा नज़र आता है मुझे
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