aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम ".olim"
अज़ीज़ इतना ही रक्खो कि जी सँभल जाएअब इस क़दर भी न चाहो कि दम निकल जाए
आँख से दूर सही दिल से कहाँ जाएगाजाने वाले तू हमें याद बहुत आएगा
ख़्वाब ही ख़्वाब कब तलक देखूँकाश तुझ को भी इक झलक देखूँ
दुआ करो कि मैं उस के लिए दुआ हो जाऊँवो एक शख़्स जो दिल को दुआ सा लगता है
हवा के दोश पे रक्खे हुए चराग़ हैं हमजो बुझ गए तो हवा से शिकायतें कैसी
एक चेहरे में तो मुमकिन नहीं इतने चेहरेकिस से करते जो कोई इश्क़ दोबारा करते
अब तो मिल जाओ हमें तुम कि तुम्हारी ख़ातिरइतनी दूर आ गए दुनिया से किनारा करते
काश देखो कभी टूटे हुए आईनों कोदिल शिकस्ता हो तो फिर अपना पराया क्या है
जवानी क्या हुई इक रात की कहानी हुईबदन पुराना हुआ रूह भी पुरानी हुई
जो दिल को है ख़बर कहीं मिलती नहीं ख़बरहर सुब्ह इक अज़ाब है अख़बार देखना
हज़ार तरह के सदमे उठाने वाले लोगन जाने क्या हुआ इक आन में बिखर से गए
मैं तन्हा था मैं तन्हा हूँतुम आओ तो क्या न आओ तो क्या
तुम हम-सफ़र हुए तो हुई ज़िंदगी अज़ीज़मुझ में तो ज़िंदगी का कोई हौसला न था
ज़मीन जब भी हुई कर्बला हमारे लिएतो आसमान से उतरा ख़ुदा हमारे लिए
हाए वो लोग गए चाँद से मिलने और फिरअपने ही टूटे हुए ख़्वाब उठा कर ले आए
ज़मीं के लोग तो क्या दो दिलों की चाहत मेंख़ुदा भी हो तो उसे दरमियान लाओ मत
रौशनी आधी इधर आधी उधरइक दिया रक्खा है दीवारों के बीच
ये कैसी बिछड़ने की सज़ा हैआईने में चेहरा रख गया है
मैं एक से किसी मौसम में रह नहीं सकताकभी विसाल कभी हिज्र से रिहाई दे
दर्द बढ़ कर दवा न हो जाएज़िंदगी बे-मज़ा न हो जाए
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