aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम ".shlk"
ज़रा मौसम तो बदला है मगर पेड़ों की शाख़ों पर नए पत्तों के आने में अभी कुछ दिन लगेंगेबहुत से ज़र्द चेहरों पर ग़ुबार-ए-ग़म है कम बे-शक पर उन को मुस्कुराने में अभी कुछ दिन लगेंगे
तुम्हारा सिर्फ़ हवाओं पे शक गया होगाचराग़ ख़ुद भी तो जल जल के थक गया होगा
ये ज़िंदगी जो पुकारे तो शक सा होता हैकहीं अभी तो मुझे ख़ुद-कुशी नहीं करनी
झूट में शक की कम गुंजाइश हो सकती हैसच को जब चाहो झुठलाया जा सकता है
यहाँ की औरतों को इल्म की परवा नहीं बे-शकमगर ये शौहरों से अपने बे-परवा नहीं होतीं
उसे किसी से मोहब्बत न थी मगर उस नेगुलाब तोड़ के दुनिया को शक में डाल दिया
शिकवा-ए-ग़म तिरे हुज़ूर कियाहम ने बे-शक बड़ा क़ुसूर किया
शक उन को था कि रात में बोसा न ले कोईगालों पे रख के सोए कलाई तमाम रात
अश्कों के टपकने पर तस्दीक़ हुई उस कीबे-शक वो नहीं उठते आँखों से जो गिरते हैं
मुझे शक है होने न होने पे 'ख़ालिद'अगर हूँ तो अपना पता चाहता हूँ
महव हूँ इस क़दर तसव्वुर मेंशक ये होता है मैं हूँ या तू है
मेरी संजीदा तबीअत पे भी शक है सब कोबाज़ लोगों ने तो बीमार समझ रक्खा है
पेश तो होगा अदालत में मुक़दमा बे-शकजुर्म क़ातिल ही के सर हो ये ज़रूरी तो नहीं
देखे जो मेरी नेकी को शक की निगाह सेवो आदमी भी तो मिरे अंदर है क्या करूँ
इस क़दर महव-ए-तसव्वुर हूँ कि शक होता हैआईने में मिरी सूरत है कि सूरत तेरी
बे-शक असीर-ए-गेसू-ए-जानाँ हैं बे-शुमारहै कोई इश्क़ में भी गिरफ़्तार देखना
दिल लिया है तो ख़ुदा के लिए कह दो साहबमुस्कुराते हो तुम्हीं पर मिरा शक जाता है
हाँ ख़ुदा है, इस में कोई शक की गुंजाइश नहींइस से तुम ये मत समझ लेना ख़ुदा मौजूद है
मैं क़सीदा तिरा लिक्खूँ तो कोई बात नहींपर कोई दूसरा दोहराए तो शक करता हूँ
ख़ुदा ही जाने 'यगाना' मैं कौन हूँ क्या हूँख़ुद अपनी ज़ात पे शक दिल में आए हैं क्या क्या
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