aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम ".ulqo"
उस को जुदा हुए भी ज़माना बहुत हुआअब क्या कहें ये क़िस्सा पुराना बहुत हुआ
इक अजब हाल है कि अब उस कोयाद करना भी बेवफ़ाई है
उस को रुख़्सत तो किया था मुझे मालूम न थासारा घर ले गया घर छोड़ के जाने वाला
जुस्तुजू जिस की थी उस को तो न पाया हम नेइस बहाने से मगर देख ली दुनिया हम ने
किस तरह जमा कीजिए अब अपने आप कोकाग़ज़ बिखर रहे हैं पुरानी किताब के
ढूँडता फिरता हूँ मैं 'इक़बाल' अपने आप कोआप ही गोया मुसाफ़िर आप ही मंज़िल हूँ मैं
मैं चाहता था कि उस को गुलाब पेश करूँवो ख़ुद गुलाब था उस को गुलाब क्या देता
जिस को तुम भूल गए याद करे कौन उस कोजिस को तुम याद हो वो और किसे याद करे
मैं उस को आँसुओं से लिख रहा हूँकि मेरे ब'अद कोई पढ़ न पाए
'ज़फ़र' आदमी उस को न जानिएगा वो हो कैसा ही साहब-ए-फ़हम-ओ-ज़काजिसे ऐश में याद-ए-ख़ुदा न रही जिसे तैश में ख़ौफ़-ए-ख़ुदा न रहा
उस को भी याद करने की फ़ुर्सत न थी मुझेमसरूफ़ था मैं कुछ भी न करने के बावजूद
साथ बारिश में लिए फिरते हो उस को 'अंजुम'तुम ने इस शहर में क्या आग लगानी है कोई
बताऊँ आप को मरने के बाद क्या होगापोलाओ खाएँगे अहबाब फ़ातिहा होगा
मुझ से नफ़रत है अगर उस को तो इज़हार करेकब मैं कहता हूँ मुझे प्यार ही करता जाए
कल मैं ने उस को देखा तो देखा नहीं गयामुझ से बिछड़ के वो भी बहुत ग़म से चूर था
ख़ुदा के वास्ते इस को न टोकोयही इक शहर में क़ातिल रहा है
हम ने उस को इतना देखा जितना देखा जा सकता थालेकिन फिर भी दो आँखों से कितना देखा जा सकता था
हम को अक्सर ये ख़याल आता है उस को देख करये सितारा कैसे ग़लती से ज़मीं पर रह गया
आप को आता रहा मेरे सताने का ख़यालसुल्ह से अच्छी रही मुझ को लड़ाई आप की
मैं उस के ऐब उस को बताता भी किस तरहवो शख़्स आज तक मुझे तन्हा नहीं मिला
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