aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम ".usaw"
एक मुद्दत से तिरी याद भी आई न हमेंऔर हम भूल गए हों तुझे ऐसा भी नहीं
ये इश्क़ नहीं आसाँ इतना ही समझ लीजेइक आग का दरिया है और डूब के जाना है
अब जुदाई के सफ़र को मिरे आसान करोतुम मुझे ख़्वाब में आ कर न परेशान करो
रंज से ख़ूगर हुआ इंसाँ तो मिट जाता है रंजमुश्किलें मुझ पर पड़ीं इतनी कि आसाँ हो गईं
आह को चाहिए इक उम्र असर होते तककौन जीता है तिरी ज़ुल्फ़ के सर होते तक
आईना क्यूँ न दूँ कि तमाशा कहें जिसेऐसा कहाँ से लाऊँ कि तुझ सा कहें जिसे
बारे दुनिया में रहो ग़म-ज़दा या शाद रहोऐसा कुछ कर के चलो याँ कि बहुत याद रहो
जहाँ में होने को ऐ दोस्त यूँ तो सब होगातिरे लबों पे मिरे लब हों ऐसा कब होगा
पूछ लेते वो बस मिज़ाज मिराकितना आसान था इलाज मिरा
दिल से जो बात निकलती है असर रखती हैपर नहीं ताक़त-ए-परवाज़ मगर रखती है
इरादे बाँधता हूँ सोचता हूँ तोड़ देता हूँकहीं ऐसा न हो जाए कहीं ऐसा न हो जाए
तिरे वा'दों पे कहाँ तक मिरा दिल फ़रेब खाएकोई ऐसा कर बहाना मिरी आस टूट जाए
कोई मुझ तक पहुँच नहीं पाताइतना आसान है पता मेरा
बस-कि दुश्वार है हर काम का आसाँ होनाआदमी को भी मुयस्सर नहीं इंसाँ होना
मेरी हर बात बे-असर ही रहीनक़्स है कुछ मिरे बयान में क्या
कोई हिन्दू कोई मुस्लिम कोई ईसाई हैसब ने इंसान न बनने की क़सम खाई है
कितना आसाँ था तिरे हिज्र में मरना जानाँफिर भी इक उम्र लगी जान से जाते जाते
देखने के लिए सारा आलम भी कमचाहने के लिए एक चेहरा बहुत
दर्द ऐसा है कि जी चाहे है ज़िंदा रहिएज़िंदगी ऐसी कि मर जाने को जी चाहे है
लोग कहते हैं मोहब्बत में असर होता हैकौन से शहर में होता है किधर होता है
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