aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "aabdaar"
मत पोंछ अबरू-ए-अरक़-आलूद हाथ सेलाज़िम है एहतियात कि है आब-दार तेग़
हर एक शाख़ थी लर्ज़ां फ़ज़ा में चीख़-ओ-पुकारहवा के हाथ में इक आब-दार ख़ंजर था
कान में है तेरे मोती आब-दारया किसी आशिक़ का आँसू बोलना
मैं ऐसे दर का गदा हूँ जहाँ पे मोती क्याहज़ार बार मुझे संग आब-दार मिले
मिरी निगाह रहे सिर्फ़ रू-ए-क़ातिल परगुलों पे ख़ंजर-ए-बे-आब्दार चलता रहे
मुस्तक़िल बोलता ही रहता हूँकितना ख़ामोश हूँ मैं अंदर से
वो चाँद है तो अक्स भी पानी में आएगाकिरदार ख़ुद उभर के कहानी में आएगा
घर के बाहर ढूँढता रहता हूँ दुनियाघर के अंदर दुनिया-दारी रहती है
मेरी रुस्वाई के अस्बाब हैं मेरे अंदरआदमी हूँ सो बहुत ख़्वाब हैं मेरे अंदर
ऐ दोस्त मैं ख़ामोश किसी डर से नहीं थाक़ाइल ही तिरी बात का अंदर से नहीं था
अपने जैसी कोई तस्वीर बनानी थी मुझेमिरे अंदर से सभी रंग तुम्हारे निकले
किसी ने रख दिए ममता-भरे दो हाथ क्या सर परमिरे अंदर कोई बच्चा बिलक कर रोने लगता है
अंदर की दुनिया से रब्त बढ़ाओ 'आनिस'बाहर खुलने वाली खिड़की बंद पड़ी है
अपने अंदर हँसता हूँ मैं और बहुत शरमाता हूँख़ून भी थूका सच-मुच थूका और ये सब चालाकी थी
बाहर बाहर सन्नाटा है अंदर अंदर शोर बहुतदिल की घनी बस्ती में यारो आन बसे हैं चोर बहुत
मुमकिन है कि सदियों भी नज़र आए न सूरजइस बार अंधेरा मिरे अंदर से उठा है
अंदर के हादसों पे किसी की नज़र नहींहम मर चुके हैं और हमें इस की ख़बर नहीं
आदमी बुलबुला है पानी काक्या भरोसा है ज़िंदगानी का
फ़क़त तुम ही नहीं नाराज़ मुझ से जान-ए-जानाँमिरे अंदर का इंसाँ तक ख़फ़ा है इंतिहा है
ज़रा छुआ था कि बस पेड़ आ गिरा मुझ परकहाँ ख़बर थी कि अंदर से खोखला है बहुत
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