aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "afa.aal"
ख़ुदावंदा करम कर फ़ज़्ल कर अहवाल पर मेरेनज़र कर आप पर मत कर नज़र अफ़आल पर मेरे
बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया मिरे आगेहोता है शब-ओ-रोज़ तमाशा मिरे आगे
तू भी सादा है कभी चाल बदलता ही नहींहम भी सादा हैं इसी चाल में आ जाते हैं
आफ़त तो है वो नाज़ भी अंदाज़ भी लेकिनमरता हूँ मैं जिस पर वो अदा और ही कुछ है
बिछड़ने का इरादा है तो मुझ से मशवरा कर लोमोहब्बत में कोई भी फ़ैसला ज़ाती नहीं होता
मैं चाहता था कि उस को गुलाब पेश करूँवो ख़ुद गुलाब था उस को गुलाब क्या देता
लहू वतन के शहीदों का रंग लाया हैउछल रहा है ज़माने में नाम-ए-आज़ादी
दानिस्ता हम ने अपने सभी ग़म छुपा लिएपूछा किसी ने हाल तो बस मुस्कुरा दिए
ऐ जुनूँ फिर मिरे सर पर वही शामत आईफिर फँसा ज़ुल्फ़ों में दिल फिर वही आफ़त आई
हुस्न आफ़त नहीं तो फिर क्या हैतू क़यामत नहीं तो फिर क्या है
शिकस्त-ए-ज़िंदगी वैसे भी मौत ही है नातू सच बता ये मुलाक़ात आख़री है ना
ले साँस भी आहिस्ता कि नाज़ुक है बहुत कामआफ़ाक़ की इस कारगह-ए-शीशागरी का
इक इश्क़ का ग़म आफ़त और उस पे ये दिल आफ़तया ग़म न दिया होता या दिल न दिया होता
जिन्हें हम देख कर जीते थे 'नासिर'वो लोग आँखों से ओझल हो गए हैं
अब जो पत्थर है आदमी था कभीइस को कहते हैं इंतिज़ार मियाँ
इतनी सारी यादों के होते भी जब दिल मेंवीरानी होती है तो हैरानी होती है
देर से आने पर वो ख़फ़ा था आख़िर मान गयाआज मैं अपने बाप से मिलने क़ब्रिस्तान गया
मय-कदा है यहाँ सुकूँ से बैठकोई आफ़त इधर नहीं आती
आँखों से वो कभी मिरी ओझल नहीं रहाग़ाफ़िल मैं उस की याद से इक पल नहीं रहा
हवा में नश्शा ही नश्शा फ़ज़ा में रंग ही रंगये किस ने पैरहन अपना उछाल रक्खा है
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