aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "ash.aar"
वो किसी को याद कर के मुस्कुराया था उधरऔर मैं नादान ये समझा कि वो मेरा हुआ
आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ते देखाआज फिर याद कोई चोट पुरानी आई
सब ख़्वाहिशें पूरी हों 'फ़राज़' ऐसा नहीं हैजैसे कई अशआर मुकम्मल नहीं होते
मुद्दतों ब'अद मयस्सर हुआ माँ का आँचलमुद्दतों ब'अद हमें नींद सुहानी आई
अशआ'र मिरे यूँ तो ज़माने के लिए हैंकुछ शेर फ़क़त उन को सुनाने के लिए हैं
न सताइश की तमन्ना न सिले की परवागर नहीं हैं मिरे अशआर में मअ'नी न सही
उस हिज्र पे तोहमत कि जिसे वस्ल की ज़िद होउस दर्द पे ला'नत की जो अशआ'र में आ जाए
यूँ तो अब भी है वही रंज वही महरूमीवो जो इक तेरी तरफ़ से था इशारा न रहा
न जाने कितने चराग़ों को मिल गई शोहरतइक आफ़्ताब के बे-वक़्त डूब जाने से
कभी 'फ़राज़' से आ कर मिलो जो वक़्त मिलेये शख़्स ख़ूब है अशआर के अलावा भी
ले गईं दूर बहुत दूर हवाएँ जिस कोवही बादल था मिरी प्यास बुझाने वाला
सोचता हूँ तिरी तस्वीर दिखा दूँ उस कोरौशनी ने कभी साया नहीं देखा अपना
सुनो समुंदर की शोख़ लहरो हवाएँ ठहरी हैं तुम भी ठहरोवो दूर साहिल पे एक बच्चा अभी घरौंदे बना रहा है
मेरा हर शेर हक़ीक़त की है ज़िंदा तस्वीरअपने अशआर में क़िस्सा नहीं लिख्खा मैं ने
ठहरी ठहरी सी तबीअत में रवानी आईआज फिर याद मोहब्बत की कहानी आई
वही तो मरकज़ी किरदार है कहानी काउसी पे ख़त्म है तासीर बेवफ़ाई की
सताया आज मुनासिब जगह पे बारिश नेइसी बहाने ठहर जाएँ उस का घर है यहाँ
प्यास दरिया की निगाहों से छुपा रक्खी हैएक बादल से बड़ी आस लगा रक्खी है
सादा समझो न इन्हें रहने दो दीवाँ में 'अमीर'यही अशआर ज़बानों पे हैं रहने वाले
सब्र ऐ दिल कि ये हालत नहीं देखी जातीठहर ऐ दर्द कि अब ज़ब्त का यारा न रहा
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