aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "ashfaaq"
शाम ढलने से फ़क़त शाम नहीं ढलती हैउम्र ढल जाती है जल्दी पलट आना मिरे दोस्त
अपनी ख़ुशी से मुझे तेरी ख़ुशी थी अज़ीज़तू भी मगर जाने क्यूँ मुझ से ख़फ़ा हो गया
हम से पूछो मिज़ाज बारिश काहम जो कच्चे मकान वाले हैं
तुम्हें मनाने का मुझ को ख़याल क्या आएकि अपने आप से रूठा हुआ तो मैं भी हूँ
अपनी क़िस्मत में सभी कुछ था मगर फूल न थेतुम अगर फूल न होते तो हमारे होते
फूल महकेंगे यूँही चाँद यूँही चमकेगातेरे होते हुए मंज़र को हसीं रहना है
मैं अपनी प्यास में खोया रहा ख़बर न हुईक़दम क़दम पे वो दरिया पुकारता था मुझे
जो ख़्वाब की दहलीज़ तलक भी नहीं आयाआज उस से मुलाक़ात की सूरत निकल आई
चीख़ उठता है दफ़अतन किरदारजब कोई शख़्स बद-गुमाँ हो जाए
शाम होती है तो लगता है कोई रूठ गयाऔर शब उस को मनाने में गुज़र जाती है
इस पे हैराँ हैं ख़रीदार कि क़ीमत है बहुतमेरे गौहर की तब-ओ-ताब नहीं देखते हैं
ये ख़ाना हमेशा से वीरान हैकहाँ कोई दिल के मकाँ में रहा
दिल की जागीर में मेरा भी कोई हिस्सा रखमैं भी तेरा हूँ मुझे भी तो कहीं रहना है
देखा है किसी आहू-ए-ख़ुश-चश्म को उस नेआँखों में बहुत उस की चमक आई हुई है
बिकता रहता सर-ए-बाज़ार कई क़िस्तों मेंशुक्र है मेरे ख़ुदा ने मुझे शोहरत नहीं दी
फ़ासले ये सिमट नहीं सकतेअब परायों में कर शुमार मुझे
हिज्र इंसाँ के ख़द-ओ-ख़ाल बदल देता हैकभी फ़ुर्सत में मुझे देखने आना मिरे दोस्त
बहुत बईद न था मसअलों का हल होनाअना के पाँव से ज़ंजीर हम हटा न सके
अजब ठहराव पैदा हो रहा है रोज़ ओ शब मेंमिरी वहशत कोई ताज़ा अज़िय्यत चाहती है
दिन भर के झमेलों से बचा लाया था ख़ुद कोशाम आते ही 'अश्फ़ाक़' मैं टूटा हुआ क्यूँ हूँ
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