aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "asnaa-ashar"
दुख अपना अगर हम को बताना नहीं आतातुम को भी तो अंदाज़ा लगाना नहीं आता
या रब मिरी दुआओं में इतना असर रहेफूलों भरा सदा मिरी बहना का घर रहे
वो कहानी छोड़ती है मुद्दतों अपना असरजिस कहानी का कभी किरदार मरता ही नहीं
कम से कम इतना इशारा तो करो जाते हुएतुम कभी याद जो आओ तो किसे याद करें
बस तिरे आने की इक अफ़्वाह का ऐसा असरकैसे कैसे लोग थे बीमार अच्छे हो गए
गाहे-गाहे अगर ख़ुशी मिलतीग़म का इतना असर नहीं होता
मैं अगर आइना नहीं होताकोई मुझ से ख़फ़ा नहीं होता
जैसे कि आज वस्ल हुआ क्या न चाहिएइक दिन भी आवे ऐसा अगर सौ बरस के बीच
आप को ख़ून के आँसू ही रुलाना होगाहाल-ए-दिल कहने को हम अपना अगर बैठ गए
वो तड़प जाए इशारा कोई ऐसा देनाउस को ख़त लिखना तो मेरा भी हवाला देना
न बज़्म अपनी न अपना साक़ी न शीशा अपना न जाम अपनाअगर यही है निज़ाम-ए-हस्ती तो ज़िंदगी को सलाम अपना
कौन आईना देखता है मियाँसब को अपना ही 'अक्स प्यारा है
दूसरों पर अगर तब्सिरा कीजिएसामने आइना रख लिया कीजिए
कोई नहीं है ऐसा कि अपना कहें जिसेकैसा तिलिस्म टूटा है अपने गुमान का
वो पोशीदा रखते हैं अपना तअ'ल्लुक़इधर देख कर फिर उधर देख लेना
अगर तुम्हारी अना ही का है सवाल तो फिरचलो मैं हाथ बढ़ाता हूँ दोस्ती के लिए
अपना दिल सीना-ए-अशआर में रख देते हैंकुछ हक़ीक़त भी ज़रूरी है फ़साने के लिए
सब ख़्वाहिशें पूरी हों 'फ़राज़' ऐसा नहीं हैजैसे कई अशआर मुकम्मल नहीं होते
ये अपना अपना मुक़द्दर है इस को क्या कहिएतुझे सराब तो दरिया बना दिया है मुझे
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