aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "atak"
क्यूँ इन दिनों 'हसन' तू इतना झटक गया हैज़ालिम कहीं तिरा दिल क्या फिर अटक गया है
तुम को आता है प्यार पर ग़ुस्सामुझ को ग़ुस्से पे प्यार आता है
आँख से दूर न हो दिल से उतर जाएगावक़्त का क्या है गुज़रता है गुज़र जाएगा
करूँगा क्या जो मोहब्बत में हो गया नाकाममुझे तो और कोई काम भी नहीं आता
जो कहा मैं ने कि प्यार आता है मुझ को तुम परहँस के कहने लगा और आप को आता क्या है
नशा पिला के गिराना तो सब को आता हैमज़ा तो तब है कि गिरतों को थाम ले साक़ी
आसमाँ इतनी बुलंदी पे जो इतराता हैभूल जाता है ज़मीं से ही नज़र आता है
जब भी आता है मिरा नाम तिरे नाम के साथजाने क्यूँ लोग मिरे नाम से जल जाते हैं
दुख अपना अगर हम को बताना नहीं आतातुम को भी तो अंदाज़ा लगाना नहीं आता
शाम तक सुब्ह की नज़रों से उतर जाते हैंइतने समझौतों पे जीते हैं कि मर जाते हैं
मोहब्बत में बिछड़ने का हुनर सब को नहीं आताकिसी को छोड़ना हो तो मुलाक़ातें बड़ी करना
रहने को सदा दहर में आता नहीं कोईतुम जैसे गए ऐसे भी जाता नहीं कोई
सदा ऐश दौराँ दिखाता नहींगया वक़्त फिर हाथ आता नहीं
हम तो समझे थे कि इक ज़ख़्म है भर जाएगाक्या ख़बर थी कि रग-ए-जाँ में उतर जाएगा
कौन कहता है कि मौत आई तो मर जाऊँगामैं तो दरिया हूँ समुंदर में उतर जाऊँगा
वो एक ही चेहरा तो नहीं सारे जहाँ मेंजो दूर है वो दिल से उतर क्यूँ नहीं जाता
तमाम रात नहाया था शहर बारिश मेंवो रंग उतर ही गए जो उतरने वाले थे
बस जान गया मैं तिरी पहचान यही हैतू दिल में तो आता है समझ में नहीं आता
छोटी सी बात पे ख़ुश होना मुझे आता थापर बड़ी बात पे चुप रहना तुम्ही से सीखा
कुछ नज़र आता नहीं उस के तसव्वुर के सिवाहसरत-ए-दीदार ने आँखों को अंधा कर दिया
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