aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "autaar"
आँख से दूर न हो दिल से उतर जाएगावक़्त का क्या है गुज़रता है गुज़र जाएगा
शाम तक सुब्ह की नज़रों से उतर जाते हैंइतने समझौतों पे जीते हैं कि मर जाते हैं
कौन कहता है कि मौत आई तो मर जाऊँगामैं तो दरिया हूँ समुंदर में उतर जाऊँगा
हम तो समझे थे कि इक ज़ख़्म है भर जाएगाक्या ख़बर थी कि रग-ए-जाँ में उतर जाएगा
वो एक ही चेहरा तो नहीं सारे जहाँ मेंजो दूर है वो दिल से उतर क्यूँ नहीं जाता
तमाम रात नहाया था शहर बारिश मेंवो रंग उतर ही गए जो उतरने वाले थे
आँखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखाकश्ती के मुसाफ़िर ने समुंदर नहीं देखा
अब जिस तरफ़ से चाहे गुज़र जाए कारवाँवीरानियाँ तो सब मिरे दिल में उतर गईं
उतर भी आओ कभी आसमाँ के ज़ीने सेतुम्हें ख़ुदा ने हमारे लिए बनाया है
अंदाज़-ए-बयाँ गरचे बहुत शोख़ नहीं हैशायद कि उतर जाए तिरे दिल में मिरी बात
लोग अच्छे हैं बहुत दिल में उतर जाते हैंइक बुराई है तो बस ये है कि मर जाते हैं
कुर्सी है तुम्हारा ये जनाज़ा तो नहीं हैकुछ कर नहीं सकते तो उतर क्यों नहीं जाते
उदासी शाम तन्हाई कसक यादों की बेचैनीमुझे सब सौंप कर सूरज उतर जाता है पानी में
हाँ समुंदर में उतर लेकिन उभरने की भी सोचडूबने से पहले गहराई का अंदाज़ा लगा
शेर दर-अस्ल हैं वही 'हसरत'सुनते ही दिल में जो उतर जाएँ
ग़ौर से देखते रहने की सज़ा पाई हैतेरी तस्वीर इन आँखों में उतर आई है
तहज़ीब के लिबास उतर जाएँगे जनाबडॉलर में यूँ नचाएगी इक्कीसवीं सदी
कभी ख़ाक वालों की बातें भी सुनकभी आसमानों से नीचे उतर
'अत्तार' हो 'रूमी' हो 'राज़ी' हो 'ग़ज़ाली' होकुछ हाथ नहीं आता बे-आह-ए-सहर-गाही
कहिए तो आसमाँ को ज़मीं पर उतार लाएँमुश्किल नहीं है कुछ भी अगर ठान लीजिए
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