aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "ba-sad"
हम ने ब-सद ख़ुलूस पुकारा है आप कोअब देखना है कितनी कशिश है ख़ुलूस में
ब-सद अदा-ए-दिलबरी है इल्तिजा-ए-मय-कशीये होश अब किसे कि मय हराम या हलाल है
वो तो क्या उस का तसव्वुर भी 'जलील'ब-सद-अंदाज़-ओ-ब-सद-नाज़ आया
वो चाहता था कि देखे मुझे बिखरते हुएसो उस का जश्न ब-सद-एहतिमाम मैं ने किया
बे-सदा सी किसी आवाज़ के पीछे पीछेचलते चलते मैं बहुत दूर निकल जाता हूँ
बाब सब हम ने मोहब्बत के पढ़े'मीर' सा होगा न कोई फिर कभी
बे-सदा क्यूँ गुज़रते हो आवाज़ दोअब भी कुछ लोग अंदर मकानों में हैं
'फ़ैज़' थी राह सर-ब-सर मंज़िलहम जहाँ पहुँचे कामयाब आए
उम्र-भर को मुझे बे-सदा कर गयातेरा इक बार मुँह फेर कर बोलना
कितनी बे-सूद जुदाई है कि दुख भी न मिलाकोई धोका ही वो देता कि मैं पछता सकता
बहें न आँख से आँसू तो नग़्मगी बे-सूदखिलें न फूल तो रंगीनी-ए-फ़ुग़ाँ क्या है
है मुद्दतों से ख़ाना-ए-ज़ंजीर बे-सदामालूम ही नहीं कि दिवाने किधर गए
छोड़ कर बार-ए-सदा वो बे-सदा हो जाएगावहम था मेरा कि पत्थर आईना हो जाएगा
हम अब उदास नहीं सर-ब-सर उदासी हैंहमें चराग़ नहीं रौशनी कहा जाए
भीड़ है बर-सर-ए-बाज़ार कहीं और चलेंआ मिरे दिल मिरे ग़म-ख़्वार कहीं और चलें
मुंहदिम होता चला जाता है दिल साल-ब-सालऐसा लगता है गिरह अब के बरस टूटती है
ज़माना बर-सर-ए-आज़ार था मगर 'फ़ानी'तड़प के हम ने भी तड़पा दिया ज़माने को
उन्हें ये ज़ोम कि बे-सूद है सदा-ए-सुख़नहमें ये ज़िद कि इसी हाव-हू में फूल खिले
हर तरह की बे-सर-ओ-सामानियों के बावजूदआज वो आया तो मुझ को अपना घर अच्छा लगा
सर पे एहसान रहा बे-सर-ओ-सामानी काख़ार-ए-सहरा से न उलझा कभी दामन अपना
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books