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शेर
न छाँव करने को है वो आँचल न चैन लेने को हैं वो बाँहें
मुसाफ़िरों के क़रीब आ कर हर इक बसेरा पलट गया है
क़तील शिफ़ाई
शेर
बदन पर इस-क़दर बारिश मिरे होती है बोसों की
कि जब बाँहें तिरी मुझ पर खुली हों डालियाँ बन कर
अब्दुल मन्नान समदी
शेर
यारो कुछ तो ज़िक्र करो तुम उस की क़यामत बाँहों का
वो जो सिमटते होंगे उन में वो तो मर जाते होंगे
जौन एलिया
शेर
जब यार ने उठा कर ज़ुल्फ़ों के बाल बाँधे
तब मैं ने अपने दिल में लाखों ख़याल बाँधे
मोहम्मद रफ़ी सौदा
शेर
तिरे आज़ाद बंदों की न ये दुनिया न वो दुनिया
यहाँ मरने की पाबंदी वहाँ जीने की पाबंदी
अल्लामा इक़बाल
शेर
नासिर काज़मी
शेर
वो रातें चाँद के साथ गईं वो बातें चाँद के साथ गईं
अब सुख के सपने क्या देखें जब दुख का सूरज सर पर हो