aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "baa.njh"
जो दे सका न पहाड़ों को बर्फ़ की चादरवो मेरी बाँझ ज़मीं को कपास क्या देगा
'अल्वी' ख़्वाहिश भी थी बाँझजज़्बा भी ना-मर्द मिला
अब बाँझ ज़मीनों से उम्मीद भी क्या रखनारोएँ भी तो ला-हासिल बोएँ भी तो क्या काटें
आँखें दिखलाते हो जोबन तो दिखाओ साहबवो अलग बाँध के रक्खा है जो माल अच्छा है
टकटकी बाँध के मैं देख रहा हूँ जिस कोये भी हो सकता है वो सामने बैठा ही न हो
सारे सपने बाँध रखे हैं गठरी मेंये गठरी भी औरों में बट जाएगी
उम्मीद तो बंध जाती तस्कीन तो हो जातीवा'दा न वफ़ा करते वा'दा तो किया होता
सारे जज़्बों के बाँध टूट गएउस ने बस ये कहा इजाज़त है
शुक्र है बाँध लिया अपने खुले बालों कोउस ने शीराज़ा-ए-आलम को बिखरने न दिया
जाने किन रिश्तों ने मुझ को बाँध रक्खा है कि मैंमुद्दतों से आँधियों की ज़द में हूँ बिखरा नहीं
वक़्त कहाँ मुट्ठी में आने वाला थालेकिन हम ने बाँध लिया तस्वीरों में
मुसाफ़िरों से कहो अपनी प्यास बाँध रखेंसफ़र की रूह में सहरा कोई उतर चुका है
गुलशन से कोई फूल मयस्सर न जब हुआतितली ने राखी बाँध दी काँटे की नोक पर
दीदार का मज़ा नहीं बाल अपने बाँध लोकुछ मुझ को सूझता नहीं अँधियारी रात है
पैरों से बाँध लेता हूँ पिछली मसाफ़तेंतन्हा किसी सफ़र पे निकलता नहीं हूँ मैं
मैं ने सामान-ए-सफ़र बाँध के फिर खोल दियाएक तस्वीर ने देखा मुझे अलमारी से
मैं चाहता हूँ कि तेरी तरफ़ न देखूँ मैंमिरी नज़र को मगर तू ने बाँध रक्खा है
रक़्स करने का मिला हुक्म जो दरियाओं मेंहम ने ख़ुश हो के भँवर बाँध लिया पाँव में
अजब कशिश है तिरे होने या न होने मेंगुमाँ ने मुझ को हक़ीक़त से बाँध रक्खा है
मैं इक थका हुआ इंसान और क्या करतातरह तरह के तसव्वुर ख़ुदा से बाँध लिए
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