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शेर
आप कहें तो तीन ज़माने एक ही लहर में बह निकलें
आप कहें तो सारी बातों में ऐसी आसानी है
अम्बरीन सलाहुद्दीन
शेर
अश्क-ए-ग़म-ए-उल्फ़त में इक राज़-ए-निहानी है
पी जाओ तो अमृत है बह जाए तो पानी है
आनंद नारायण मुल्ला
शेर
अपनी आँखों का समुंदर बह के तो ख़ामोश है
दिल के अंदर की सुलगती आग को हम क्या करें
अब्दुल हमीद साक़ी
शेर
जा के अब नार-ए-जहन्नम की ख़बर ले ज़ाहिद
नद्दियाँ बह गईं अश्कों की गुनहगारों में
मुज़्तर ख़ैराबादी
शेर
देख कर हर उज़्व उन का दिल हो पानी बह चला
खोल छाती बे-तकल्लुफ़ जब नहाएँ बाग़ में