aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "bahut-so.n"
भागे थे हम बहुत सो उसी की सज़ा है येहो कर असीर दाबते हैं राहज़न के पाँव
सुना है कानों के कच्चे हो तुम बहुत सो हमतुम्हारे शहर में सब से बना के रखते हैं
दर-ओ-दीवार भी घर के बहुत मायूस थे हम सेसो हम भी रात इस जागीर से बाहर निकल आए
बहुत डरता था रोने सेसो बन कर मुत्तक़ी रोया
बहुत ही सोज़ बहुत ही गुदाज़ है इस मेंतुम्हारा हिज्र अज़ान-ए-बिलाल जैसा है
मुझे सोने की क़ीमत मत बताओमैं मिट्टी हूँ मिरी अज़्मत बहुत है
मेरी बाँहों में बहकने की सज़ा भी सुन लेअब बहुत देर में आज़ाद करूँगा तुझ को
वहाँ पहले ही आवाज़ें बहुत थींसो मैं ने चुप कराया ख़ामुशी को
बहुत ख़्वाब-ए-ग़फ़लत में दिन चढ़ गयाउठो सोने वालो फिर आएगी रात
मिट्टी की फ़ज़ीलत पे बहुत शे'र कहे हैंसोने से लिखा जाएगा दीवान हमारा
ख़बर सुन कर मिरे मरने की वो बोले रक़ीबों सेख़ुदा बख़्शे बहुत सी ख़ूबियाँ थीं मरने वाले में
अलग बात है ये कि तुम सुन न पाएमगर हम ने तुम को पुकारा बहुत है
आप आए हैं सो अब घर में उजाला है बहुतकहिए जलती रहे या शम्अ बुझा दी जाए
बहुत हसीं रात है मगर तुम तो सो रहे होनिकल के कमरे से इक नज़र चाँदनी तो देखो
रात की रात बहुत देख ली दुनिया तेरीसुब्ह होने को है अब 'तर्ज़' को सो जाने दे
बहुत ग़ुरूर था सूरज को अपनी शिद्दत परसो एक पल ही सही बादलों से हार गया
मेरी रुस्वाई के अस्बाब हैं मेरे अंदरआदमी हूँ सो बहुत ख़्वाब हैं मेरे अंदर
दर्द आसानी से कब पहलू बदल कर निकलाआँख का तिनका बहुत आँख मसल कर निकला
वो मुज़्तरिब था बहुत मुझ को दरमियाँ कर केसो पा लिया है उसे ख़ुद को राएगाँ कर के
सो भी जा ऐ दिल-ए-मजरूह बहुत रात गईअब तो रह रह के सितारों को भी नींद आती है
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