aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "baje"
रात के शायद एक बजे हैंसोता होगा मेरा चाँद
हुए ख़त्म सिगरेट अब क्या करें हमहै पिछ्ला पहर रात के दो बजे हैं
दस बजे रात को सो जाते हैं ख़बरें सुन करआँख खुलती है तो अख़बार तलब करते हैं
इश्क़ दोनों तरफ़ सूँ होता हैक्यूँ बजे एक हात सूँ ताली
लब-ए-दरिया पे देख आ कर तमाशा आज होली काभँवर काले के दफ़ बाजे है मौज ऐ यार पानी में
हमारी साँसें मिली हैं गिन केन जाने कितने बजे हैं दिन के
बड़े लोगों से मिलने में हमेशा फ़ासला रखनाजहाँ दरिया समुंदर से मिला दरिया नहीं रहता
इश्क़ पर ज़ोर नहीं है ये वो आतिश 'ग़ालिब'कि लगाए न लगे और बुझाए न बने
यहाँ लिबास की क़ीमत है आदमी की नहींमुझे गिलास बड़े दे शराब कम कर दे
वो झूट बोल रहा था बड़े सलीक़े सेमैं ए'तिबार न करता तो और क्या करता
गुलों में रंग भरे बाद-ए-नौ-बहार चलेचले भी आओ कि गुलशन का कारोबार चले
बारे दुनिया में रहो ग़म-ज़दा या शाद रहोऐसा कुछ कर के चलो याँ कि बहुत याद रहो
ये कहाँ की दोस्ती है कि बने हैं दोस्त नासेहकोई चारासाज़ होता कोई ग़म-गुसार होता
कोई हिन्दू कोई मुस्लिम कोई ईसाई हैसब ने इंसान न बनने की क़सम खाई है
ज़माना बड़े शौक़ से सुन रहा थाहमीं सो गए दास्ताँ कहते कहते
बड़े अज़ाब में हूँ मुझ को जान भी है अज़ीज़सितम को देख के चुप भी रहा नहीं जाता
मैं सोचता हूँ बहुत ज़िंदगी के बारे मेंये ज़िंदगी भी मुझे सोच कर न रह जाए
तुम्हारा हुस्न आराइश तुम्हारी सादगी ज़ेवरतुम्हें कोई ज़रूरत ही नहीं बनने सँवरने की
सिर्फ़ हाथों को न देखो कभी आँखें भी पढ़ोकुछ सवाली बड़े ख़ुद्दार हुआ करते हैं
मैं जिन दिनों तिरे बारे में सोचता हूँ बहुतउन्हीं दिनों तो ये दुनिया समझ में आती है
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