aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "bar-aamda"
बस एक बार मनाया था जश्न-ए-महरूमीफिर उस के बाद कोई इब्तिला नहीं आई
ये दिल की बात ही मुँह से अदा नहीं होतीमैं क्या कहूँ कि यहाँ बार बार क्यूँ आया
हम बुरे हालों हैं तो क्या आप कोआप बस अपनी सजावट देखिए
जूता नया पहन के वो पंजों के बल चलेकपड़े बदल के जामे से बाहर निकल चले
मता-ए-दर्द परखना तो बस की बात नहींजो तुझ को देख के आए वो हम को पहचाने
होंटों पे कभी उन के मिरा नाम ही आएआए तो सही बर-सर-ए-इल्ज़ाम ही आए
जल्वा बे-बाक अदा शोख़ तमाशा गुस्ताख़उठ गए बज़्म से आदाब-ए-नज़र मेरे बाद
ज़ालिम हमारी आज की ये बात याद रखइतना भी दिल-जलों का सताना भला नहीं
बालों में बल है आँख में सुर्मा है मुँह में पानघर से निकल के पाँव निकाले निकल चले
बगूला बन के उड़ा ख़्वाहिशों के सहरा मेंठहर गया तो फ़क़त था ग़ुबार मेरी तरह
कोई हरम को गया कोई दैर को ऐ 'बहर'हज़ार शुक्र न मैं इस दोराहे में भटका
यार को देखते ही मर गए ऐ 'बहर' अफ़्सोसख़ाक मेरी कोई आँखों में क़ज़ा की झोंके
दिखाया उस ने बन-ठन कर वो जल्वा अपनी सूरत काकि पानी फिर गया आईने पर दरिया-ए-हैरत का
बंद कलियों की अदा कहती हैबात करने के हैं सौ पैराए
अगर सच इतना ज़ालिम है तो हम से झूट ही बोलोहमें आता है पतझड़ के दिनों गुल-बार हो जाना
अदा से देख लो जाता रहे गिला दिल काबस इक निगाह पे ठहरा है फ़ैसला दिल का
ग़ैर पर क्यूँ निगाह करते होमुझ को इस तीर का निशाना करो
मिरे क़त्ल पर तुम ने बीड़ा उठायामिरे हाथ का पान खाया तो होता
क्या है मुझे देते हो गिलौरीचूने में कहीं न संख्या हो
अहबाब भी ग़ैरों की अदा सीख गए हैंआते हैं मगर दिल को दुखाने नहीं आते
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